भोपाल। 1983-1984 में भर्ती हुए सरकारी कर्मचारी यदि रिटायर होने से पहले प्रमोशन चाहते हैं तो उन्हें आरक्षण की जिद छोड़नी होगी। इसके अलावा और भी दूसरे कर्मचारी यदि प्रमोशन का अधिकार पाना चाहते हैं तो जातिगत आरक्षण की लड़ाई बंद करनी होगी। भारतीय प्रशासनिक सेवा के चार अधिकारियों की एक टीम ने सुप्रीम कोर्ट के स्टे आर्डर के कारण रुकी हुई प्रमोशन की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने के लिए अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।
इस रिपोर्ट पर चारों आईएएस अधिकारियों की सीएम शिवराज सिंह चौहान से एक मीटिंग होगी। इसके बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सन 2021 से लेकर 2030 तक बड़ी संख्या में शासकीय कर्मचारी रिटायर होने वाले हैं। यह सभी वह कर्मचारी हैं जिनकी भर्ती सन 1983-84 में हुई थी। पिछले करीब पांच साल में 70 हजार अधिकारी-कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो चुके हैं। कमेटी में सीनियर आईएएस अधिकारी एपी श्रीवास्तव, विनोद कुमार, राजेश राजौरा और मनीष रस्तोगी शामिल हैं।
आरक्षित वर्ग का कर्मचारी प्रमोशन लेगा तो श्रेणी परिवर्तन हो जाएगा
सरकारी नौकरी में भर्ती के समय आरक्षण का लाभ लेने वाला शासकीय कर्मचारी यदि प्रमोशन चाहता है तो उसका श्रेणी परिवर्तन हो जाएगा। उसे सामान्य श्रेणी का कर्मचारी दर्ज किया जाएगा। प्रमोशन तो मिल जाएगा लेकिन रिटायरमेंट तक वह कर्मचारी सामान्य श्रेणी का कर्मचारी माना जाएगा। यदि वह शासकीय सेवा में आरक्षण का लाभ लेना चाहता है तो उसे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय तक प्रमोशन का इंतजार करना होगा।
मध्य प्रदेश शासन के कर्मचारियों को वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर मिलेगा प्रमोशन
इसमें वरिष्ठता और योग्यता को प्राथमिकता पर रखा गया है। क्लास वन ऑफिसर के मामले में योग्यता सह वरिष्ठता का फाॅर्मूला लागू होगा। इसमें प्रमोशन के लिए क्वालिफाइंग सर्विस पूरी होने पर पांच साल की एसीआर देखी जाएगी। इसके बाद वरिष्ठता का नंबर आएगा। चार पदों के लिए 12 लोगों पर विचार होगा। जिसकी एसीआर आउटस्टैंडिंग होगी और वरिष्ठता में भी वह आगे होगा, उसे तुरंत प्रमोशन मिलेगा। इसी तरह यदि अधिकारी क्लास-टू है तो उस समय फाॅर्मूला बदल जाएगा। योग्यता पीछे हो जाएगी और वरिष्ठता को पहले देखा जाएगा। ऐसे में सिर्फ वरिष्ठता की सूची बनेगी और प्रमोशन हो जाएगा।