भोपाल। मध्यप्रदेश शासन द्वारा शिक्षक संवर्ग को 1994-95 से डांइग केडर (मृत संवर्ग) घोषित किया गया। इनके स्थान पर स्थानीय निकायों के माध्यम से शिक्षाकर्मी व शिक्षा गारंटी योजना के तहत गुरूजी की नियुक्ति 1995 से प्रारंभ की है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने ऐसे सभी कर्मचारियों को जिनकी नियुक्ति शिक्षा कर्मी व गुरुजी के तौर पर हुई थी, नियुक्ति दिनांक से गणना करके क्रमोन्नति का लाभ देने का आदेश दिया है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि उक्त नियुक्ति दिनांक से नियमित सेवा मान्य कर गणनानुसार क्रमोन्नति की मांग को लेकर राजगढ़ जिले के दिलीप भटनागर, सुमेर सिंह गुर्जर, बद्रीलाल मीणा, सागर सिंह भीलाला, देवीसिंह शिवहरे, विष्णु सिंह सोंधिया, शिवचरण लौधी, अनुपाल सिंह परमार, हरिसिंह करण, फ़ूलसिंह सोंधिया, श्रीमती पवित्रा सोंधिया, दीनदयाल यादव, साज़िद खान, इमरतसिंह विश्वकर्मा, देवेन्द्र साहू, लक्ष्मीनारायण यादव, रूपसिंह परमार, भगवान सिंह सोनगरा, रामप्रसाद मेडाडे, गजराजसिंह राठौर, शोभाराम रूहेला, कृपालसिंह गुर्जर, बलराम सिंह रूहेला, कमलसिंह खातन, जगदीश सोंधिया, मांगूसिंह सोंधिया, चंद्रसिंह परमार, श्रीमती रामकन्या लौधी, शंकरलाल भीलाला, ओमप्रकाश शर्मा, रूप सिंह गुर्जर, रंग लाल मंडेरिया, कमलेश जाट, रामेश्वर जाट, देवीसिंह गुर्जर, पर्वतसिंह सोंधिया, राजेन्द्र सिंह गुर्जर, गोपाल सिंह राठौर, राजपाल राठौर, लक्ष्मण सिंह हाड़ा, कंवरलाल सोंधिया, जसवंतसिंह परमार, लक्ष्मीनारायण डांगी, प्रेमनारायण वर्मा, श्यामलाल सुतार, फ़ूलसिंह जाटव, सुनील नागर, भगवान मीणा, बहादुर सिंह परमार, कैलाश नारायण, जगदीश सिंह वर्मा, ओमप्रकाश यादव, नटवरसिंह परमार, धीरज सोंधिया, रामचंद्र तोमर, बापूलाल सोंधिया, मनोहरसिंह सिसौदिया, विक्रम सिंह गुर्जर, बर्दीप्रसाद मीणा, हाकमसिंह गुर्जर, सुंदरलाल मीणा, महेश यादव, नन्नूलाल लाववंशी व प्रेम गुर्जर आदि शिक्षकों ने माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में याचिका क्रमांक डब्ल्यू पी-2246/2021 दायर की थी।
माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में अधिवक्ता श्री एसआर पोरवाल की सफल पैरवी व तर्कों से सहमत होकर विद्वान न्यायधीश माननीय श्रीमान विवेक रूसिया ने आदेश पारित कर प्रथम नियुक्ति दिनांक से नियमित सेवा मान्य कर बारह वर्ष सेवाकाल पर प्रथम क्रमोन्नति के लिए पात्र मानते हुए फैसले के दिनांक 22 फरवरी से 90 दिवस में पालन करने का आदेश राजगढ़ के जिला अधिकारियों को दिया है।
कर्मचारी नेता लक्षकार ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि उक्त फैसला प्रदेश में मील का पत्थर साबित होगा। इससे 1995-96 से व इसके पश्चात नियुक्त शिक्षाकर्मी, 1998 से निरंतर सेवा में व गुरूजी को पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने पर संविदा शिक्षक/ शिक्षाकर्मी/अध्यापक मान्य किया गया था। ऐसे सभी साथी इस फैसले के प्रभाव से 1995 वाले बारह वर्ष सेवाकाल पर 2007 में प्रथम क्रमोन्नति व 2019 में चौबीस वर्ष सेवाकाल पूर्ण होने पर द्वितीय क्रमोन्नति के पात्र हो रहे है। इससे इस वर्ग में हर्ष व्याप्त हैं।