भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए किए गए आरक्षण को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने स्थगित कर दिया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। यह बताना जरूरी है कि हाईकोर्ट ने आरक्षण को स्थगित किया है निरस्त नहीं किया है। शासन से जवाब मांगा है। यदि शिवराज सिंह चौहान सरकार चाहे तो हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के डिसीजन का हवाला देते हुए तत्काल जवाब प्रस्तुत कर सकती है और तुरंत सुनवाई के लिए ग्वालियर बेंच से निवेदन कर सकती है।
नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण के बारे में हाई कोर्ट का फैसला
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में याचिकाकर्ता मानवर्धन सिंह तोमर का कहना था कि अधिकांश नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष पद लंबे समय से एक ही वर्ग के लिए आरक्षित किए जा रहे हैं। इस वजह से दूसरे वर्ग के लोगों को अध्यक्ष के पद पर प्रतिनिधित्व करने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। याचिकाकर्ता ने प्रदेश की 79 नगर पालिका और नगर परिषद के अलावा 2 मेयर सीट का हवाला भी याचिका में दिया था। जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डबल बेंच ने निकाय चुनाव की आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव बोर्ड परीक्षाओं के बाद ही होंगे
आरक्षण के मामले में हाई कोर्ट के स्थगन के बाद मामला पेचीदा हो गया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के स्थगन आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। बताने की जरूरत नहीं की यह एक लंबी प्रक्रिया होगी जो किसी भी स्थिति में 31 मार्च से पहले खत्म नहीं हो सकती। यदि मार्च में अधिसूचना और 20 अप्रैल तक मतदान नहीं हुआ तो फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कभी भी आ जाए लेकिन चुनाव जून महीने के बाद ही होंगे। क्योंकि मई और जून में बोर्ड परीक्षाएं हैं। स्कूलों में परीक्षाएं होंगी तो फिर मतदान कहां होगा।