भोपाल। मध्यप्रदेश की विधानसभा में 'मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2021' प्रस्तुत कर दिया गया है। इस विधेयक के माध्यम से मध्य प्रदेश के जिला न्यायालयों का नाम एवं न्यायाधीशों का पद नाम बदल दिया गया है। मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) अधिनियम, 2021 के लागू हो जाने पर जिला न्यायालय का नाम बदलकर प्रधान जिला न्यायालय और जिला न्यायाधीश का पद नाम बदलकर प्रधान जिला न्यायाधीश हो जाएगा। इसी प्रकार डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में बैठने वाले शेष सभी जजों का पद नाम बदल दिया गया है।
मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 को और संशोधित करने हेतु विधेयक
भारत गणराज्य के बहत्तरवें वर्ष में मध्यप्रदेश विधान-मंडल द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-
1. इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) अधिनियम, 2021 है.
2. मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 (क्रमांक 19 सन् 1958) (जो इसमें इसके पश्चात् मूल अधिनियम के नाम से निर्दिष्ट है) की धारा 2 के खण्ड (क), धारा 25 तथा धारा 26 को छोड़कर, सर्वत्र मूल अधिनियम में:-
(एक) शब्द "जिला न्यायाधीश" जहां कहीं भी वे आए हों, के स्थान पर, शब्द "प्रधान जिला न्यायाधीश" स्थापित किए जाएं;
(दो) शब्द "अपर जिला न्यायाधीश" जहां कहीं भी वे आए हों, के स्थान पर, शब्द "जिला न्यायाधीश" स्थापित किए जाएं
(तीन) शब्द तथा अंक "व्यवहार न्यायाधीश प्रथम वर्ग" जहां कहीं भी वे आए हों, के स्थान पर, शब्द "व्यवहार न्यायाधीश, वरिष्ठ खण्ड" स्थापित किए जाएं;
(चार) शब्द तथा अंक "व्यवहार न्यायाधीश द्वितीय वर्ग" जहां कहीं भी वे आए हो, के स्थान पर, "व्यवहार न्यायाधीश, कनिष्ठ खण्ड" स्थापित किए जाएं. ३. मूल अधिनियम की धारा २ में, खण्ड
(क) के स्थान पर, निम्नलिखित खण्ड स्थापित किया जाए,
मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 धारा 2 का संशोधन
3. मूल अधिनियम की धारा 2 में, खण्ड (क) के स्थान पर, निम्नलिखित खण्ड स्थापित किया जाए, अर्थात्:- "(क) "उच्चतर न्यायिक सेवा का संवर्ग" से अभिप्रेत है, जिला न्यायाधीशों का संवर्ग और उसमें सम्मिलित हैं, प्रधान जिला न्यायाधीश, जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) तथा जिला न्यायाधीश (चयन श्रेणी);".
मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 धारा 18 का संशोधन
4. मूल अधिनियम की धारा 18 में, शब्द "जिला न्यायालय" के स्थान पर, शब्द "प्रधान जिला न्यायालय" स्थापित किए जाएं.
मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 में संशोधन के उद्देश्यों और कारणों का कथन
सेट्टी वेतन आयोग (प्रथम राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग) ने देश में उच्चतर न्यायिक सेवा तथा निम्नतर न्यायिक सेवा के सदस्यों के वेतनमान, भत्ते, परिलब्धियां, चिकित्सा सुविधाएं, सेवानिवृत्ति प्रलाभों और संबंधित मामलों के संबंध में अनुशंसाएं की थीं, जिनमें से एक अनुशंसा उच्च न्यायिक सेवा तथा निम्नतर न्यायिक सेवा के सदस्यों के एक समान पदाभिधान अंगीकृत करने की है जो माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा रिट याचिका (सिविल) क्रमांक 1022/1989 आल इंडिया जजेस एसोसिएशन विरुद्ध यूनियन आफ इंडिया तथा अन्य में पारित निर्णय दिनांक 8 फरवरी, 2001 द्वारा अनुमोदित की गई है.
२. उपरोक्त विषयक माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार "मध्यप्रदेश उच्च न्यायिक (सेवा भर्ती तथा सेवा शर्ते) नियम, 2017" में नाम पद्धति पहले से ही सम्मिलित कर दी गई है किन्तु जब तक मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 (क्रमांक 19 सन् 1958) संशोधित नहीं किया जाता, तब तक न्यायिक अधिकारियों का पदाभिधान परिवर्तित नहीं किया जा सकता.
३. उपरोक्त के आलोक में और माननीय उच्चतम न्यायालय के निदेशों के अनुसार अन्य राज्यों के साथ न्यायिक अधिकारियों के पदाभिधान को समरूप करने के आशय से मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय अधिनियम, 1958 को यथोचित रूप से संशोधित किया जाना प्रस्तावित है.