मप्र दुकान एवं स्थापना अधिनियम,1958 - The MP Shops & Establishment Act, 1958
हम अक्सर देखते हैं कि कोई सरकारी विभागों में कार्य करनें वाले कर्मचारियों को विशेष त्यौहारों, कोई शासकीय उत्सव आदि में ऑफिस से छुट्टी मिलती है या सभी शासकीय कार्यालयों में रविवार को अवकाश होता है, अगर हम बात करे प्राइवेट स्थापना जैसे:- दुकान, ब्यूटीपार्लर, निजी बैंक, सिलाई सेंटर, होटल, भोजनालय, नाट्यशाला आदि में कब ऒर किस अधिनियम के अंतर्गत अवकाश दिया जाता है।
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम की परिभाषा:-
अधिनियम के अनुसार तीन प्रकार के से कर्मचारियों को तीन प्रकार की छुट्टियां दी जाती है किसी दुकान एवं वाणिज्यिक स्थापना, होटल, उपाहार गृह, भोजनालय, नाट्यशाला या सार्वजनिक मनोरंजन में काम करने वाले कर्मचारी एवं श्रमिकों के लिए:-
1. साप्ताहिक अवकाश (Weekly Holiday)- अधिनियम की धारा 13(1) (3) के अनुसार प्रत्येक दुकान एवं वाणिज्यिक स्थापना सप्ताह में एक दिन बंद रहेगी, एवं उस दिन की नियोजक किसी भी श्रमिक या कर्मचारी को कार्य पर नहीं बुलाया जाएगा अगर बुलाता है तो यह विधि का उल्लंघन होगा।
2. सवैतनिक साप्ताहिक अवकाश( Weekly Day of Rest)- अधिनियम की धारा 18 एवं धारा 23 के अनुसार किसी भी निवासयुक्त होटल, उपाहार गृह, भोजनालय रेस्टोरेंट एवं नाट्यशाला, सार्वजनिक मनोरंजन के स्थान में काम करने वाले कर्मचारी, श्रमिक को सप्ताह में एक दिन रेस्ट(आराम) अर्थात सवैतनिक अवकाश दिया जाएगा इस दिन उनको किसी भी प्रकार से कार्य पर नहीं बुलाया जाएगा।
3. आकस्मिक एवं विशेष अधिकार अवकाश (Casual & Privilege Leave)- अधिनियम की धारा 26(1) एवं धारा 26(2) के अनुसार स्थापना में कार्यरत किसी भी श्रमिक या कर्मचारी को 12 माह की निरंतर सेवा के बाद एक माह का विशेषाधिकार अवकाश एवं प्रत्येक वर्ष 14 दिन से कम आकस्मिक अवकाश की पात्रता होगी।
महत्वपूर्ण:- धारा 26(2) के अनुसार विशेषाधिकार अवकाश का संचय 3 माह से अधिक समय तक नहीं होगा, जिसमे साप्ताहिक अवकाश भी सम्मिलित है। लेकिन आकस्मिक अवकाश को को विशेषाधिकार अवकाश में मिलाया नहीं जाएगा। एवं कर्मचारी के सेवामुक्त या त्यागपत्र की स्थिति में , अवकाश हेतु देय रकम का भुगतान नियोजक को करना होगा।
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम,1958 में दण्ड का प्रावधान:-
अगर कोई नियोजक या प्रबंधक अपने दायित्वों का पालन नहीं करता है तब वह अधिनियम की धारा 46,47,48 के अंतर्गत दंडनीय होगा। इनकी सुनवाई किसी भी द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट के पास होगी। सजा:- कम से कम 500 रुपये जुर्माने से एक हजार रुपए का जुर्माना या तीन माह से एक वर्ष तक कि कारावास हो सकती है।