भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के रिक्त पदों पर नियुक्ति हेतु मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्यसेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 को स्थगित करने की मांग की जा रही है। उम्मीदवारों का कहना है कि कोरोनावायरस के जानलेवा खतरे के बीच परीक्षा देना संभव नहीं है। इतने तनाव में तो पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है।
जब विधानसभा स्थगित कर दी तो परीक्षा क्यों करा रहे हो
उम्मीदवारों का कहना है कि मुख्यमंत्री, मंत्री एवं विधायकों का समूह मिलकर सरकार होते हैं। कोरोनावायरस के खतरे के कारण विधानसभा का बजट सत्र समय से पहले स्थगित कर दिया गया। जब सरकार खुद डरी हुई है तो फिर वह कैसे उम्मीद कर सकती है कि परीक्षार्थी बहादुरों की तरह कोरोनावायरस खतरे के बीच परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाएंगे। महामारी के दौर में परीक्षा का आयोजन दोनों पक्षों की सहमति से होना चाहिए।
सरकारी नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा कोई स्थगित नहीं करवाना चाहता
उम्मीदवारों का कहना है कि सरकार को समझना चाहिए। एमपीपीएससी राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा कोई बोर्ड परीक्षा या कॉलेज की परीक्षा नहीं है जिस से बचकर जनरल प्रमोशन लेने की कोशिश की जाए। हर उम्मीदवार चाहता है कि वह इस परीक्षा में अपना 100% प्रदर्शित करें। कोई उम्मीदवार सरकारी नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा को स्थगित करवाना नहीं चाहता लेकिन कोरोनावायरस के संक्रमण के तनाव में परीक्षा देना संभव नहीं है। परीक्षाएं हमेशा तनाव मुक्त माहौल में होनी चाहिए।
महामारी से रक्षा उम्मीदवारों का संवैधानिक अधिकार है
भोपाल समाचार डॉट कॉम के लीगल एक्सपर्ट एडवोकेट शैलेंद्र गुप्ता का कहना है कि मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के मैनेजमेंट को ध्यान रखना चाहिए कि वह प्राइवेट स्कूल नहीं है। एक दुकानदार की तरह बात नहीं कर सकता। वह शासन का अंग है और उम्मीदवारों के प्रति जवाब दें एवं उम्मीदवारों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। महामारी से रक्षा भारत की किसी भी नागरिक का संवैधानिक अधिकार है। कोई भी सरकार या सरकारी संस्थान किसी भी व्यक्ति को महामारी के संकट में धकेल नहीं सकता।