नई दिल्ली। समाचार दिल्ली के नजदीक उत्तर प्रदेश के फरीदाबाद अंतर्गत भैंसरावली गांव से आ रहा है। सैकड़ों ग्रामीण परेशान है। उनका लगभग 2 करोड़ रुपए डूब गया है। सभी पोस्ट ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं। सवाल सिर्फ एक है कि जब पासबुक में एंट्री है तो पोस्ट ऑफिस के लेजर रजिस्टर में एंट्री क्यों नहीं है। इस तरह की घटना किसी भी खाताधारक के साथ हो सकती है इसलिए कृपया सावधान रहें और ध्यान पूर्वक पूरा समाचार पढ़ें।
पोस्ट ऑफिस कर्मचारी खाताधारकों का 2 करोड़ रुपए लेकर फरार
मामला ठगी का है लेकिन पोस्ट ऑफिस के मिसमैनेजमेंट का भी है। रवि नाम का एक व्यक्ति पोस्ट ऑफिस का अस्थाई कर्मचारी है। कर्मचारी होने के कारण ग्रामीणों ने उस पर विश्वास किया और अपना पैसा उसे दे दिया। उसने ग्रामीणों की पासबुक पर तो एंट्री की परंतु ग्रामीणों का पैसा पोस्ट ऑफिस के खजाने में जमा नहीं कराया और ना ही पोस्ट ऑफिस के लेजर रजिस्टर में कोई एंट्री की गई। ग्रामीणों ने जब हंगामा किया तो पोस्ट मास्टर ने यह बताते हुए अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होने की कोशिश की कि रवि हमारे यहां अस्थाई कर्मचारी है और तीन-चार दिनों से अनुपस्थिति है। लगभग 100 से ज्यादा ग्रामीणों का 2 करोड रुपए फंस गया है। पोस्ट मास्टर जगदीश चंद्र डिपार्टमेंटल इंक्वायरी की बात कर रहे हैं और क्रिमिनल केस के लिए पुलिस को इंफॉर्मेशन दे दी गई है।
पोस्ट ऑफिस का मैनेजमेंट अपराध के लिए बराबर का जिम्मेदार
भले ही इस मामले में सभी लोग अस्थाई कर्मचारी रवि को जिम्मेदार बता रहे हैं परंतु पोस्ट ऑफिस का मैनेजमेंट इस अपराध में बराबर का जिम्मेदार है। भारतीय रिजर्व बैंक की स्पष्ट गाइडलाइन है कि यदि किसी खाताधारक के अकाउंट में कोई भी व्यवहार होता है तो इसकी जानकारी खाताधारक को अनिवार्य रूप से दी जाए। इसीलिए बैंक अपने खाताधारकों के पास SMS भेजते हैं। सुप्रीम कोर्ट अपने कई निर्णय में कह चुका है कि कर्मचारी स्थाई, अस्थाई, दैनिक वेतन भोगी हो या फिर आउट सोर्स कर्मचारी यदि वह सरकारी कार्यालय में बैठकर जनता से व्यवहार कर रहा है तो इसके लिए डिपार्टमेंट जिम्मेदार होगा। व्यवहार करते समय आम जनता कुर्सी पर बैठे हुए व्यक्ति को देखती है, उससे उसका अपॉइंटमेंट लेटर कोई नहीं मांगता। पोस्ट मास्टर व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं कि उन्होंने एक अस्थाई कर्मचारी को धन संग्रहण की जिम्मेदारी दी।