भोपाल। लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा 15 मार्च 2021 को भोपाल में मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय मैडम कियावत व प्रदेश के लगभग सभी शिक्षक, अध्यापक संगठनों के प्रमुखों के साथ बैठक कर "सीएम राइज विद्यालय की कार्य योजना" प्रस्तुत की गई, जिसका लगभग सभी शिक्षक संगठनों ने कड़ा विरोध किया।
इस कार्ययोजना में ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन की ओर से प्रांतीय अध्यक्ष डीके सिंगौर, प्रदेश महासचिव सुरेश यादव, हीरानंद नरवरिया, नंदकिशोर कटारे प्रकाश सिंगौर प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए। सीएम राइज कार्ययोजना की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश भर में 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में एक सर्व सुविधा युक्त सीएम राइज विद्यालय खोला जाएगा, जिसमें के.जी.वन से लेकर बारहवीं तक की सभी कक्षाएं एक साथ संचालित होगी। इन विद्यालयों में परीक्षा के आधार पर शिक्षकों का चयन कर पदस्थ किया जाएगा। 15 से 20 किलोमीटर दायरे के बच्चों को विद्यालय आने जाने के लिए बस आदि से निःशुल्क परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सर्व सुविधा युक्त विद्यालयों में सभी बुनियादी जरूरतों के साथ ही स्विमिंग पूल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
ट्रायबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय प्रवक्ता संजीव सोनी ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि अधिकारियों की कार्ययोजना सुनने के उपरांत एसोसिएशन के प्रांत अध्यक्ष डीके सिंगौर ने अपनी बात लिखित में रखते हुए कहा कि यह सीएम राइज योजना "निःशुल्क और बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 व शिक्षा के लोकव्यापीकरण" की भावना एवं नियम के एकदम विपरीत है, इसमें शिक्षा को लोकव्यापीकरण की जगह केंद्रीकरण किया जा रहा है, इससे शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। सीएम राइज योजना विशेषकर ट्रायबल क्षेत्रों में कभी सफल नहीं हो सकती। इसका कारण बताते हुए ट्राईबल वेलफेयर एसोसिएशन ने लिखा कि ग्रामीण क्षेत्रों में गांव में विद्यालय होने के बाद भी शत-प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जाते, ऐसे में 15 से 20 किलोमीटर दूर होने पर ड्रॉपआउट रेट में बहुत तेजी से वृद्धि होगी।
15 से 20 किलोमीटर के दायरे में सभी शासकीय विद्यालय बंद हो जाने से निजी विद्यालयों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी और मजबूरी में निर्धन बच्चों को भी महंगी शिक्षा लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे पढ़ाई के साथ ही कृषि आदि कार्यों में भी परिवार का सहयोग करते हैं। ऐसे में शासकीय परिवहन की व्यवस्था के चलते कई बार बच्चे विद्यालय जाने में असमर्थ रहेंगे। विशेषकर ट्राइबल क्षेत्रों के गांव, सड़कों से दूर जंगल और टोलों में बसे होते हैं, जहां आज भी बारिश के बाद 4 से 6 महीने तक कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर ही पहुंचा जा सकता है, ऐसे गांव और टोले के विद्यार्थियों को बहुत असुविधा का सामना करना पड़ेगा और ड्रॉपआउट रेट में वृद्धि होगी। प्रदेश में पूर्व में संचालित अंग्रेजी माध्यम स्कूल, उत्कृष्ट विद्यालय, मॉडल स्कूल जैसे छोटे-छोटे प्रयोग सफल नहीं रहे हैं, ऐसे में सीएम राइज जैसे बड़े प्रयोग यदि असफल हो गए तो प्रदेश में शिक्षा का पूरा ताना-बाना बिगड़ सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय संस्थाओं के नाम से विद्यालय ही मुख्य होते हैं, जिनके माध्यम से गांव में कई सांस्कृतिक गतिविधियां, जनकल्याण का कल्याणकारी योजनाओं/ संदेशों का प्रचार प्रसार होता है। ऐसे में गांव में विद्यालय बंद हो जाने से गांव नीरस हो जाएंगे। सीएम राइज विद्यालय में क्रीम शिक्षकों को ले लेने से इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को सर्व सुविधा के साथ ही अच्छे शिक्षकों द्वारा शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी, वहीं अन्य शासकीय विद्यालय में बच्चे सामान्य शिक्षकों द्वारा बुनियादी जरूरतों के अभाव में शिक्षा प्राप्त करेंगे इस तरह सीएम राइज स्कूल की अवधारणा "सबको शिक्षा के समान अवसर" नहीं देती।
ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन ने उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट किया है कि सीएम राइज विद्यालय के अस्तित्व में आने से ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर ट्राइबल क्षेत्र के बच्चे शिक्षा से दूर ही होंगे और शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। अतः ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय, जिला, ब्लाक एवं तहसील स्तर के सभी पदाधिकारियों ने सरकार से आग्रह किया है कि सरकार को इतने बड़े स्तर पर शिक्षा व्यवस्था के केंद्रीकरण पर पुनर्विचार करना चाहिए और फिलहाल ट्राइबल जिलों में सीएम राइज विद्यालय तो बिल्कुल नहीं खोलना चाहिए।