हर अपराध के लिए अलग अलग दण्ड का प्रावधान होता है अगर हम भारतीय दण्ड संहिता की बात करे तो यहाँ पर एक व्यक्ति को सामान्य थप्पड़ मारने पर भी दाण्डित किया जाता है, यह भारतीय विधि में उपबन्ध है। बहुत सारे अपराध ऐसे होते हैं जो एक ही श्रेणी में आते हैं इन अपराध की परिभाषा अलग अलग धाराओं में होती है पर न्यायालय किसी एक अपराध को मानकर दाण्डित करेगा।
अर्थात :- किसी भी व्यक्ति पर एक बार लाठी से बार करना कम गंभीर चोट का अपराध धारा 323 का अपराध होता है। अगर व्यक्ति को बार-बार लाठी से से पीटा जाता है जिससे उसे गंभीर चोट हो जाये यहाँ पर यह अपराध धारा 325 के अंतर्गत देखा जाएगा। अगर एक सामान्य छड़ी मारने पर एक वर्ष की कारावास का नियम है और आरोपी द्वारा 10 सामान्य छड़ी मारने पर एक ही वर्ष की कारावास होगी न कि 10 वर्ष की। लेकिन यदि अपराधी दस अलग-अलग लोगों को एक-एक लाठी मारता है तब उसे 10 साल की सजा होगी।
भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 71 की परिभाषा
1. जब एक अपराध अनेक कार्यो से गठित हुआ हो, तो आरोपी को केवल एक अपराध के लिए दण्डित किया जा सकेगा, उससे अधिक दण्ड के लिए नहीं।
2. यदि कोई अपराध दण्ड संहिता में वर्णित दो या अधिक अपराधों की परिभाषा के अंतर्गत आता हो, ऐसी स्थिति में न्यायालय द्वारा आरोपी को उनमें से किसी भी अपराध के लिए देय अधिकतम दण्ड से दाण्डित किया जा सकता है।
उपर्युक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि एक ही श्रेणी में आने वाले अपराध की FIR में धाराएं अलग अलग हो सकती है, पर न्यायालय उस अपराध के लिए दण्डित करेगा जो अधिकतम सजा का प्रावधान होता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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