नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आग्रह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला लिया और CBSE - Central Board of Secondary Education ने 10वीं हाई स्कूल की परीक्षा रद्द कर दी परंतु अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि 11वीं में सब्जेक्ट सिलेक्शन कैसे होगा। क्या विद्यार्थी पक्षपात का शिकार नहीं हो जाएंगे।
11th में स्ट्रीम का सिलेक्शन किस आधार पर करेंगे
एजुकेशन एक्टपर्ट ध्रूव बैनर्जी का कहना है कि भारत देश के ज्यादातर CBSE स्कूलों में ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में प्री-बोर्ड एग्जाम हो चुके हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स को विकल्प दिया जा सकता है कि प्री-बोर्ड में मिले मार्क्स के आधार पर अपनी स्ट्रीम का चुनाव करें लेकिन इस पैटर्न में बड़ी समस्या यह है कि स्टूडेंट्स की एक बड़ी संख्या ऐसी है जिसने प्री बोर्ड एग्जाम को सीरियसली नहीं लिया। जबकि फाइनल बोर्ड एग्जाम के लिए उनकी तैयारियां बहुत अच्छी है। यह पैटर्न ऐसे स्टूडेंट्स के लिए हानिकारक साबित होगा।
टीचर्स के फेवरेटिज्म का शिकार हो जाएंगे स्टूडेंट्स
10वीं की परीक्षा रद्द होने बाद अब हो सकता है कि स्टूडेंट्स का रिजल्ट इंटरनल के आधार पर जारी किया जाए। मार्क्स किस बेस पर दिए जाएंगे यह सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि यदि सब कुछ टीचर्स के ऊपर छोड़ दिया गया तो स्टूडेंट्स अपने टीचर्स के फेवरेटिज्म (पक्षपात) का शिकार हो जाएंगे। बताने की जरूरत नहीं कि लगभग सभी शिक्षक अपनी क्लास में कुछ विद्यार्थियों को पसंद करते हैं और कुछ विद्यार्थियों को पसंद नहीं करते। उनका अपना माइंड सेट होता है और टीचर्स का माइंडसेट हमेशा सही नहीं होता। इसीलिए तो फाइनल एग्जाम की आंसर शीट किसी दूसरे टीचर से चेक करवाई जाती है।
जो स्टूडेंट इंटरनल एग्जाम में फेल हो गया, उसे जनरल प्रमोशन मिलेगा या नहीं
केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है। बोर्ड के एग्जाम कंट्रोलर संयम भारद्वाज ने बताया कि रिजल्ट के लिए क्राइटेरिया तय होने के बाद इसकी जानकारी साझा की जाएगी। हालांकि, इस क्राइटेरिया के तहत तैयार किए गए रिजल्ट से नाखुश स्टूडेंट्स बोर्ड की ओर से बाद में कराई जाने जाने वाली परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।