उत्तर प्रदेश के झांसी एयरपोर्ट के नजदीक मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला अंतर्गत खजुराहो में स्थित लक्ष्मण मंदिर अपने आप में अनूठा है। इस मंदिर का निर्माण सन 930 में हुआ था। यानी करीब 1100 साल पहले। इस मंदिर के निर्माण के लिए मथुरा उत्तर प्रदेश से 16000 कारीगरों को बुलाया गया था जिन्होंने 7 साल तक पत्थरों पर महीन नक्काशी करके इस अद्भुत और अद्वितीय मंदिर का निर्माण किया।
लक्ष्मण मंदिर खजुराहो: जिसमें ना लक्ष्मण की मूर्ति है, नाही श्री राम की
विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खजुराहो में स्थित लक्ष्मण मंदिर एक ऐसा मंदिर है जिसके अंदर ना तो लक्ष्मण जी की कोई मूर्ति है और ना ही प्रभु श्री राम की। यहां तक कि इस मंदिर का रघुकुल से कोई संबंध ही नहीं है। यह तो एक विष्णु मंदिर है। इस मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की प्रतिमा है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है।
विष्णु मंदिर का नाम लक्ष्मण मंदिर क्यों रखा
दरअसल सन 930 में राजा यशोवर्मन ने इसका निर्माण कराया था। वह चाहते थे कि एक ऐसे मंदिर का निर्माण हो जो अपने आप में अद्वितीय, अकल्पनीय, अत्यंत आकर्षक और भक्तों को अलौकिक आनंद की अनुभूति देने वाला हो। 16000 कारीगरों के 7 वर्ष के कठिन परिश्रम के बाद ऐसा मंदिर बनकर तैयार हुआ। लोगों ने इस मंदिर को अपने राजा के नाम से पुकारना शुरू कर दिया। राजा यशोवर्मन का एक नाम लक्ष्मण वर्मन भी था। लोग इसे राजा लक्ष्मण का मंदिर बताते थे। धीरे-धीरे इसे लक्ष्मण मंदिर कहा जाने लगा। यह सब कुछ ठीक वैसा ही है जैसा भगवान सहस्त्रबाहु का मंदिर, आजकल सास-बहू का मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।