गंभीर रूप से कोरोना संक्रमितों के लिए ऑक्सीजन व रेमडेसिविर इंजेक्शन ही सबसे महत्वपूर्ण है, जिसे 5 दिनों में 6 इंजेक्शन किसी भी गंभीर संक्रमित को लगाया जाना जरूरी होता है, इसकी उपलब्धता लगभग नगण्य हो चुकी है, राजधानी भोपाल जहाँ 25 से 30 विभिन्न अस्पतालों में जिंदगी मौत से संघर्ष कर रहे करीब 2000 पेशेंट भर्ती हैं, वहां शनिवार सुबह तक का ही ऑक्सीजन स्टाॅक उपलब्ध है।
गुजरात व नागपुर ने मप्र को अपनी सप्लाय देने से हाथ ऊंचे कर दिए हैं। लिहाजा, स्थिति विस्फोटक व अराजक होने की आशंका है? पिछले कोरोनाकाल के कुछ सामान्य होने के बाद से ही WHO ने आगाह किया था कि कोरोना संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसकी दूसरी लहर काफी तीव्र होगी, इस चेतावनी के बाद प्रदेश सरकार कहां सोई हुई थी? यही नहीं इसी दौर में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने होशंगाबाद जिले के बाबई में 200 टन प्रतिदिन का उत्पादन करने वाले प्लांट की स्थापना किये जाने की घोषणा भी की थी, उत्पादन तो दूर एक साल में उसका शिलान्यास भी नहीं हो सका!
मुख्यमंत्री जी, ऐसी थोथी घोषणा का दोषी कौन है? मुख्यमंत्री जी, कृपाकर अब ‘मेरी सुरक्षा-मेरा मास्क’ जैसे प्रचार अभियान ने इतर समूचे प्रदेश में पर्याप्त अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन, डाॅक्टरों, नर्सो, पैरा मेडिकल स्टाॅफ आदि की व्यवस्था एवं उपलब्धता का अभियान चलाइये। इंसान जिंदा रहेगा तो ही आपका ‘मेरी सुरक्षा-मेरा मास्क’ अभियान सार्थक होगा। शिवराज जी, मास्क को कफन के कपड़े में बदलने से रोकिए।
लेखक श्री केके मिश्रा मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं मीडिया प्रभारी हैं।