भारतीय दंड संहिता में हत्या, सबसे जघन्य अपराध माना गया है। जैसा कि आप जानते हैं कि मनुष्य की मृत्यु के कई कारण हो सकते हैं और उसकी मृत्यु के लिए कई लोग जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन हत्या का हर मामला धारा 302 के तहत दंड के योग्य नहीं होता। कई बार इस तरह के मामले दर्ज करने में गलती हो जाती है और अपराधी इसी का लाभ उठाते हुए कोर्ट से बरी हो जाता है। आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह के अपराध आईपीसी की धारा 302 के तहत दंड के योग्य माने जाते हैं।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 300 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में) :-
किसी भी व्यक्ति पर हत्या का अपराध निम्न कृत्यों पर मान्य होगा जानिए-
1. मृत्यु करने के उद्देश्य के किया गया हमला और व्यक्ति की मृत्यु हो जाये तब।
2. पहले से द्वेषपूर्ण भावना रखी गई हो और मौका मिलते ही ऐसा वार करना जिससे व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाए तब।
3. जानते हुए ऐसे व्यक्ति पर वार करना जो पहले से किसी ऐसी बीमारी से ग्रसित हो जिसमे एक मुक्का या हल्का वार करने से मृत्यु हो जाए तब।
4. कोई ऐसा खतरनाक काम करना जिससे किसी व्यक्ति की मौत तुरंत निश्चित हो तब, उधरणानुसार:- चिड़ियाघर या उद्यान में शेर, मगर, बाघ आदि के सामने किसी को जानबूझकर भेजना।
उपर्युक्त प्रकार के अपराध आईपीसी की धारा 300 के तहत दर्ज किए जाते हैं।
उधरणानुसार वाद:- गुजरात बनाम मोहन लाल- आरोपी ने तीन पार्सल डाक द्वारा भेजे जिनमें हथगोले छिपाए गए थे। पार्शल के प्राप्तकर्ता द्वारा पार्सल को खोलते ही हथगोला फट गया जिसके परिणामस्वरूप प्राप्तकर्ता की मृत्यु हो गई। आरोपी को न्यायालय द्वारा धारा 300 के नियम 4 के अंतर्गत दोषसिद्धि किया गया।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 300 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस अपराध के लिए दण्ड का प्रावधान धारा 302 में किया गया है। इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नही है, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी सत्र न्यायालय को होता है। सजा - इस धारा के अपराध के लिए मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास ऒर जुर्माने से दाण्डित किया जा सकता है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
कानूनी जानकारी से संबंधित 10 सबसे लोकप्रिय लेख
कोर्ट में गीता पर हाथ रखकर कसम क्यों खिलाते थे, रामायण पर क्यों नहीं है
सरकारी अधिकारी निर्दोष नागरिक को जबरन रोककर रखे तो IPC की किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा
अधिकारी, कोर्ट में गलत जानकारी पेश कर दे तो विभागीय कार्रवाई होगी या FIR दर्ज होगी
क्या जमानत की शर्तों का उल्लंघन अपराध है, नई FIR दर्ज हो सकती है
एक व्यक्ति अपराध करे और दूसरा सिर्फ साथ रहे तो दूसरा अपराधी माना जाएगा या नहीं
रात के समय किसी के घर में चोरी छुपे घुसना किस धारा के तहत अपराध है
यदि कोई मर्जी के बिना घर में घुस आए तो क्या FIR दर्ज करवाई जा सकती है
धूम्रपान करने वालों के खिलाफ IPC की किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
आम रास्ते में रुकावट पैदा करने वाले के खिलाफ किस धारा के तहत FIR दर्ज होती है
गर्भपात के दौरान यदि महिला की मृत्यु हो गई तो जेल कौन जाएगा डॉक्टर या पति
यदि जबरदस्ती नशे की हालत में अपराध हो जाए तो क्या सजा से माफी मिलेगी
सरकारी अधिकारी निर्दोष नागरिक को जबरन रोककर रखे तो IPC की किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा
अधिकारी, कोर्ट में गलत जानकारी पेश कर दे तो विभागीय कार्रवाई होगी या FIR दर्ज होगी
क्या जमानत की शर्तों का उल्लंघन अपराध है, नई FIR दर्ज हो सकती है
एक व्यक्ति अपराध करे और दूसरा सिर्फ साथ रहे तो दूसरा अपराधी माना जाएगा या नहीं
रात के समय किसी के घर में चोरी छुपे घुसना किस धारा के तहत अपराध है
यदि कोई मर्जी के बिना घर में घुस आए तो क्या FIR दर्ज करवाई जा सकती है
धूम्रपान करने वालों के खिलाफ IPC की किस धारा के तहत FIR दर्ज होगी
आम रास्ते में रुकावट पैदा करने वाले के खिलाफ किस धारा के तहत FIR दर्ज होती है
गर्भपात के दौरान यदि महिला की मृत्यु हो गई तो जेल कौन जाएगा डॉक्टर या पति
यदि जबरदस्ती नशे की हालत में अपराध हो जाए तो क्या सजा से माफी मिलेगी