हमारी भारतीय दण्ड संहिता विश्व की सबसे बड़ी दण्ड संहिता है, इसमें मानव शरीर पर होने वाली छोटी से छोटी चोट को अपराधी की श्रेणी में रखा है। वैसे तो दण्ड संहिता की धारा 511 में बताया गया है कि किसी भी प्रकार के अपराध का प्रयास करना उपर्युक्त धारा 511 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा लेकिन किसी भी व्यक्ति की हत्या का या मानव वध का प्रयत्न करना एक विशेष अपराध होता है और इसको दण्ड संहिता में अलग धारा 307 के अंतर्गत पढ़ा जाएगा जानिए।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 धारा 307 की परिभाषा:-
जब किसी आरोपी द्वारा किसी व्यक्ति की हत्या करने के आशय से प्रयास (प्रयत्न) किया गया हो, किंन्तु किसी व्यक्ति द्वारा हस्तक्षेप किये जाने के काऱण या वह हत्या करने के प्रयास (प्रयत्न) में सफल नहीं हो पाता है, तब हत्या का प्रयास करने वाला व्यक्ति धारा 307 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दंड संहिता,1860 की धारा 307 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं, यह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं, इनकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार सत्र न्यायालय होता है। सजा:- इस अपराध की सजा को तीन भागों में बांटा गया है:-
1. हत्या मात्र का प्रयत्न करने पर- 10 वर्ष की कारावास और जुर्माना से दाण्डित किया जाना।
2. अगर हत्या के प्रयास से व्यक्ति को चोट पहुँचती है तब- आजीवन कारावास या 10 वर्ष की कारावास और जुर्माना से दाण्डित किया जाना।
3. कोई अपराधी जो आजीवन कारावास की सजा काट रहा है वह हत्या का प्रयास करता है या उसके प्रयास से चोट भी पहुँचती है तब- अधिकतम मृत्यु दण्ड या कम से कम दस वर्ष की कारावास और जुर्माना से दाण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार वाद;- ओम प्रकाश बनाम दिल्ली प्रशासन- आरोपी ने उसका पीछा कर रहे पुलिस-दल पर भरी हुई पिस्तौल दागी, यद्यपि निशाना चूक जाने के कारण किसी भी पुलिस वाले कि मृत्यु नहीं हुई, फिर भी न्यायालय ने आरोपी को धारा 307 के अंतर्गत दोषसिद्ध किया क्योंकि आरोपी का आशय मृत्यु करने का था। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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