ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में कोरोना कर्फ्यू के बीच ऑनलाइन पिज्जा ऑर्डर करना एक क्रिकेटर को महंगा पड़ा गया। 49 हजार 996 रुपए (50 हजार में चार कम) भी चले गए और पिज्जा भी नहीं मिला।
क्रिकेटर विक्रांत सिंह ने इंटरनेट से डोमिनो पिज्जा सेंटर का नंबर निकाला। नंबर पर कॉल करके चीज पिज्जा का ऑर्डर दे दिया। पिज्जा की बुकिंग करने के बाद उसी नंबर से एक लिंक पेमेंट के लिए भेजी गई। लिंक ओपन करते ही एक ऐप डाउनलोड हुआ और खाते से लगभग 50 हजार रुपए निकल गए। बदमाशों ने पूरे 50 हजार का ट्रांजेक्शन इसलिए नहीं किया क्यों 50 हजार के लेन-देन के लिए बैंक खाते का पेन नंबर से लिंक होना जरूरी है।
शुक्रवार को क्राइम ब्रांच में शिकायत की गई है। इसके बाद मामला दर्ज किया गया है। ग्वालियर के शिंदे की छावनी निवासी विक्रांत सिंह भदौरिया क्रिकेटर हैं। वह इंडिया के लिए अंडर-19 टीम में खेल चुके हैं। अभी मध्य प्रदेश के लिए विजय हजारे ट्रॉफी में स्टेट टीम के प्लेयर हैं। 15 अप्रैल की शाम उनके साथ यह ठगी हुई। SP राज्य साइबर जोन ग्वालियर सुधीर अग्रवाल पहले भी अलर्ट जारी कर चुके हैं कि यदि किसी कंपनी या फर्म नंबर चाहिए तो सीधे इंटरनेट पर सर्च के बदले उस कंपनी के नाम से बनी वेबसाइट पर सर्च करें। सही नंबर मिलेगा।
गुरुवार से ग्वालियर में कोरोना कर्फ्यू लागू है। होटल और रेस्टोरेंट को सिर्फ होम डिलीवरी की इजाजत है। ऐसे में गुरुवार शाम को विक्रांत ने घर पर पिज्जा मंगाने की सोची। उन्होंने मोबाइल से ही इंटरनेट पर डोमिनो पिज्जा का नंबर सर्च किया। इंटरनेट से एक नंबर उनको एक मिला। उस नंबर पर कॉल किया तो पिज्जा के बारे में बात हुई। 300 रुपए का चीज पिज्जा विक्रांत ने ऑर्डर किया। इसके बाद पेमेंट के लिए पिज्जा की बुकिंग करने वालों ने एक लिंक शेयर की।
लिंक ओपन करते ही एक ऐप डाउनलोड हो गया। इसके बाद उनका मोबाइल अपने आप ही ऑपरेट होने लगा।उनके खाते से 49 हजार 996 रुपए निकल गए। जब इतने रुपए निकल गए तो तत्काल विक्रांत को ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने अपना खाता ब्लॉक कराया। इसके बाद वह शुक्रवार को क्राइम ब्रांच थाना पहुंचे और मामले की शिकायत की। पुलिस ने इस मामले में ठगी की FIR दर्ज कर ली है। विक्रांत को न तो पिज्जा मिला न ही रुपए वापस मिले। इंटरनेट से एक नंबर निकालना उनको महंगा पड़ गया। उन्होंने सोचा नहीं था कि इस तरह भी ठगी हो सकती है।
विक्रांत का ऐसा भी आरोप है कि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई नहीं की। क्राइम ब्रांच पहुंचे तो सीधे उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद वह परेशान हो गए। जब एक साथी से एसपी का नंबर लेकर बात की तो क्राइम ब्रांच ने इस मामले में जांच शुरू की। पुलिस चाहती तो समय पर कार्रवाई कर ठगी गई रकम वापस आ सकती थी।