भोपाल। कोलार पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए एक युवक को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि इस युवक की गर्लफ्रेंड पेशे से नर्स है। अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन चुरा कर लाती थी और यह लड़का इंजेक्शन को ब्लैक में बेचने का काम करता था। दोनों इस तरीके से लाखों रुपए कमाकर अपना घर बसाना चाहते थे।
JK HOSPITAL BHOPAL में रेमडेसिविर की जगह पानी का इंजेक्शन लगाया जा रहा था
कोलार पुलिस द्वारा घेराबंदी कर पकड़े गए आरोपी का नाम झलकन सिंह हमीर सिंह मीणा है। गिरधर कॉम्प्लेक्स, दानिशकुंज निवासी झलकन सिंह की प्रेमिका शालिनी JK Hospital & Medical Research Centre in Kolar Road, Bhopal के नर्सिंग स्टाफ है। आरोपी ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसकी प्रेमिका इंजेक्शन रेमडेसिविर की बजाय दूसरा नॉर्मल इंजेक्शन मरीज को लगा देती थी। और इंजेक्शन बुलाकर उसे जीती थी। उसने बताया कि वह ये इंजेक्शन 20 से 30 हजार रुपए कीमत पर लोगों को बेच दिया करता था।
JK HOSPITAL से चुराया गया इंजेक्शन JK HOSPITAL के डॉक्टर को बेचा
आरोपी ने बताया कि उसने जेके अस्पताल के ही डॉक्टर शुभम पटेरिया को भी 13 हजार रुपए में बेचा है। इसका पैमेंट उसको ऑनलाइन किया गया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादवि की धारा 389, 269, 270 सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर झलकन सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। मामले की अन्य आरोपी शालिनी वर्मा की तलाश की जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसे मामलों में रासुका की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
अस्पताल में नहीं, मरीज के परिजन ने पुलिस को बताया था
सूत्रों का कहना है कि जेके अस्पताल में एडमिट एक मरीज के परिजन से झलकन ने इंजेक्शन का सौदा किया था। कीमत को लेकर खींचतान होती रही और इसी बीच उसके मरीज की मौत हो गई। इस बात से नाराज परिजन ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी की सूचना गोपनीय तरीके से पुलिस अफसरों तक पहुंचाई। इसके बाद झलकन पर निगरानी रखी जा रही थी। उसके जेब में इंजेक्शन होने की पुख्ता जानकारी मिलने के बाद तत्काल उसकी घेराबंदी हुई और पुलिस ने उसको धर दबोचा।
JK HOSPITAL मैनेजमेंट इतना लापरवाह कैसे
इस मामले में जांच का एक बिंदु यह भी होना चाहिए कि नर्स नियमित रूप से रेमडेसिविर इंजेक्शन हॉस्पिटल से बाहर लाने में कैसे सफल होती थी। कहीं इस खेल में हॉस्पिटल मैनेजमेंट का कोई व्यक्ति तो शामिल नहीं है। संदेह किया जाना चाहिए क्योंकि प्राइवेट अस्पताल में मरीजों के परिजनों से थोक में दवाइयां बुलाकर मेडिकल स्टोर को वापस करने का खेल काफी पुराना है।