भोपाल। भारतीय संस्कृति में तो यदि कोई जघन्य अपराध भी मर जाए तो उसे स्वर्गवासी कहते हैं, मृत्यु के बाद शव का अपमान नहीं करते लेकिन भोपाल में कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों की मौत के बाद एंबुलेंस में 8-8 शव भरकर शमशान भेजे जा रहे हैं।
क्या कोरोनावायरस से मौत इतना बड़ा अभिशाप है
सोमवार को भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर 14 मरीजों के शव अंतिम संस्कार के लिए आए। इनमें से 9 भोपाल के थे और 6 दूसरे जिलों के जो भोपाल में इलाज कराने आए थे। इनकी मौत अस्पतालों में कोरोना संक्रमण की वजह से हुई। इन शवों को अमानवीय ढंग से प्लास्टिक के बैग में भरकर भेजा गया था। एक एंबुलेंस में आठ से नौ शव भरे हुए थे। यह मंजर देखकर परिजनों का कलेजा दहल गया। लोगों का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव होना इतना बड़ा अभिशाप हो गया कि इस तरह से मृत शरीर के साथ भी मानवीयता नहीं बरती जा रही है।
श्मशान घाट में PPE KIT का ढेर लगा हुआ है
हैरत तो तब हुई जब पीपीई किट पहने हुए कर्मचारी ने शव का अंतिम संस्कार करने के बाद पीपीई किट को कचरे के डिब्बे में डालने की जगह ऐसे ही फेंक दिया। यह नजारा सिर्फ सोमवार को ही नहीं दिखा, बल्कि पिछले कई दिनों से ऐसे ही हालात हैं। इसके चलते पीपीई किट का ढेर श्मशान घाट में लगा हुआ था। जब पत्रकारों ने फोटो कैप्चर किए तो बाद में यहां वहां लावारिस पड़ी हुई PPE KIT हटा दी गई।
झदा कब्रस्तान: 1 सप्ताह में आए 15 शव, मिट्टी कम पड़ गई
झदा कब्रस्तान के अध्यक्ष रेहान अहमद गोल्डन ने बताया कि पिछले एक सप्ताह से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की अस्पताल में मौत की संख्या में इजाफा हो गया है। यही कारण है कि हर दिन झदा कब्रस्तान में औसतन तीन पॉजिटिव के शव आते हैं। इन्हें प्लास्टिक के बैग सहित ही दफनाया जा रहा है। इस तरह एक सप्ताह में करीब 15 शव आ चुके हैं। उन्होंने बताया कि 28 मार्च को चार, 29 मार्च को दो, दो अप्रैल को दो, तीन अप्रैल को तीन, चार अप्रैल को पांच और पांच अप्रैल को तीन पॉजिटिव मरीजों के शव आए हैं। इन शवों पर डालने के लिए मिट्टी कम पड़ गई है। जिला प्रशासन से मिट्टी की मांग की गई थी लेकिन प्रशासन ने मिट्टी भी नहीं भेजी। कोरोना पॉजिटिव मरीजों के शव की संख्या बढ़ने के चलते अब आठ से 10 अतिरिक्त गड्ढे कर रखे जा रहे हैं।