भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हालात यह हैं कि यदि आप कोरोनावायरस से संक्रमित हैं तो सिर्फ आपके पुण्य ही आपको बचा सकते हैं। अस्पताल सरकारी हो या प्राइवेट, संक्रमित मरीजों के साथ रवैया बेहद अमानवीय है। सीपीडब्ल्यूडी में सिविल इंजीनियर दयासागर वर्मा आधे घंटे तक अस्पताल के सामने पड़े रहे लेकिन अस्पताल ने भर्ती नहीं किया जबकि सारी बातें कंफर्म करने के बाद वह प्राइवेट टैक्सी से अस्पताल आए थे।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) में सिविल इंजीनियर पद पर काम करने वाले दयासागर वर्मा कुछ दिन पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। वे यहां अकेले रचना नगर में किराए पर रहते हैं। उनके मकान मालिक सुशील पंडित ने एक-दो अस्पताल में इलाज के लिए बात की, लेकिन बिस्तर नहीं मिला। सुशील पंडित ने बताया कि सुभाष नगर में नए खुले अस्पताल आयुष्मान हाई टेक में बात की, तो डॉक्टर ने पहले रिपोर्ट मांगी। इस बीच विभाग के उनके अफसरों से बात कर इलाज के खर्च की बात की। इलाज के लिए पैसा मंजूर होने के बाद अस्पताल में रिपोर्ट दिखाई और प्रबंधन ने मरीज को लाने को कहा।
चूंकि दयासागर कोरोना संक्रमित थे, इसलिए हम उनके साथ नहीं जा सके, लेकिन प्राइवेट कैब कर उन्हें अस्पताल भेज दिया। कैब ने अस्पताल के बाहर दयासागर को छोड़ दिया, लेकिन दयासागर की हालत बहुत खराब थी और उनसे चलते भी नहीं बन रहा था। इस पर वो अस्पताल के सामने सड़क पर ही लेट गए और आधे घंटे तक वो सड़क पर ही पड़े तड़पते रहे। इस बीच उनके मकान मालिक ने अस्पताल फोन पर बताया भी कि मरीज पहुंच गया है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उसे भर्ती नहीं किया।
इस दौरान वहां मौजूद दो पुलिस जवान भी अस्पताल से मरीज को भर्ती करने का कहते रहे। दो-तीन जगह से फोन जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें अंदर किया और ऑक्सीजन लगाई।