BHOPAL में सरकारी अस्पतालों से CORONA मरीजों को भगाया जा रहा है, राष्ट्रपति बचा सकते हैं

Bhopal Samachar
भोपाल
। नियमानुसार गंभीर स्थिति में आए मरीज को कोई भी सरकारी या प्राइवेट डॉक्टर इलाज के लिए मना नहीं कर सकता परंतु एम्स भोपाल, जेपी अस्पताल और हमीदिया हॉस्पिटल में गंभीर हालत में आने वाले मरीजों को भी भगाया जा रहा है। दरवाजों पर नोटिस लगा दिए गए। यह सब कुछ ना केवल नियम विरुद्ध है बल्कि गंभीर अपराध है। बावजूद इसके खुलेआम किया जा रहा है। सरकार समझने को तैयार नहीं है, जरूरी हो गया है कि इस मामले में राष्ट्रपति कार्यालय का हस्तक्षेप हो।

AIIMS BHOPAL में नोटिस चिपका कर इलाज से मना कर दिया

पूरे प्रदेश के मरीज सबसे बड़ा अस्पताल होन के चलते बड़ी उम्मीद लेकर एम्स आते हैं। यहां कुल 460 बिस्तर कोरोना मरीजों के लिए हैं, लेकिन साधारण बिस्तर भी खाली नहीं है। गंभीर मरीजों के लेकर हर 5 से 10 मिनट में एक एंबुलेंस आती है, लेकिन सुरक्षा गार्ड परिजन से यही कह रहे हैं कि अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं। बता दें कि बिस्तर नहीं होने पर इलाज नहीं किया गया और एम्स के कोविड इमरजेंसी के सामने एक मरीज की गुरुवार रात मौत भी हो गई थी। इसके बाद प्रबंधन ने यह नोटिस चस्पा कर दिया है। 

जेपी अस्पताल से मरीजों को हमीदिया रेफर किया जा रहा है

यही हाल जेपी अस्पताल का भी है यहां कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों के लिए कुल 120 बिस्तर हैं। इनमें आईसीयू सिर्फ 16 बिस्तर का है। पिछले सप्ताह लगातार विवाद होने के बाद यहां आने वाले गंभीर मरीजों को प्रारंभिक चिकित्सा एवं ऑक्सीजन तक नहीं दी जाती बल्कि हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। 

हमीदिया में डॉक्टर नहीं मिलते, वार्ड बॉय भगा देता है

हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर लोकेंद्र दवे ने बताया कि उनके यहां अभी कुल 600 बिस्तर कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। कुछ साधारण बेड छोड़कर एचडीयू/आईसीयू और ऑक्सीजन बेड पूरे भरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बिस्तर बढ़ाने के लिए जगह तो अस्पताल में पर्याप्त है, लेकिन संसाधन नहीं है। डॉक्टर, और वार्ड बॉय की कमी है। इसके अलावा आईसीयू और एचडीयू में बिस्तर बढ़ने के लिए मल्टीपैरामीटर और वेंटिलेटर भी नहीं है। 

सरकार और डॉक्टर कर भी क्या सकते हैं 

लोकतांत्रिक सरकार का गठन पुल बनाने और उत्सव मनाने के लिए नहीं किया जाता, ऐसे हालात में नागरिकों की रक्षा करने के लिए किया जाता है। भले ही पार्किंग वाले टीन शेड के नीचे टेंट वाले से बिस्तर किराए पर लेकर लगाए जाएं लेकिन मरीजों को इलाज मिलना चाहिए। मुद्दा बिस्तर नहीं इलाज है। भोपाल शहर के तमाम होटलों/ हॉस्टल/ मैरिज हॉल/ सामाजिक भवन/ राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय/ समाजसेवियों को आवंटित किए गए सरकारी भवन इत्यादि में बहुत सारे बिस्तर खाली हैं। और चाहिए तो विधायक विश्रामगृह और मंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगले मौजूद है। आपातकाल में सभी को राजसात किया जा सकता है। 

राष्ट्रपति कार्यालय को सक्रिय हो जाना चाहिए

जो सरकार एक सड़क बनाने के लिए लोगों के खेत और मकान अधिग्रहित कर लेती है, वह सरकार लोगों की जान बचाने के लिए होटल, हॉस्टल, स्कूल और कॉलेजों का अधिग्रहण नहीं कर सकती क्या। इलाज प्राप्त करना भारत के नागरिक का संवैधानिक अधिकार है और सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी। यदि सरकार अपने नागरिकों का इलाज नहीं कर पा रही है तो क्षेत्र में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए।

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