भोपाल। नागरिकों को स्वास्थ्य और शिक्षा सरकार की पहली जिम्मेदारी है। शिवराज सिंह चौहान ने 15 साल पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही कई तरह के इवेंट शुरू किए जिनके माध्यम से वह लोकप्रिय भी बने हुए हैं परंतु चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया। केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार भोपाल शहर के सरकारी अस्पतालों में 23000 मरीजों को भर्ती करने की सुविधा होनी चाहिए जबकि सरकारी और प्राइवेट मिलाकर 11500 मरीजों को भर्ती करने की सुविधा उपलब्ध है।
कितनी आबादी पर कितने सरकारी अस्पताल, URDPFI गाइडलाइन पढ़िए
भारत सरकार की अर्बन एंड रीजनल डेवलपमेंट प्लान फार्मुलेशन एंड इंप्लिमेंटेशन (URDPFI) गाइडलाइन के हिसाब से 25 लाख से अधिक आबादी पर सरकारी अस्पतालों में 23 हजार मरीजों को भर्ती करने की सुविधा होना चाहिए। इसके लिए हर एक लाख की आबादी पर 6 अलग-अलग तरह के अस्पताल, ढाई लाख की आबादी पर जनरल अस्पताल होना चाहिए। यह सब आंकड़े भी सामान्य दिनों के हिसाब से हैं। वर्तमान में भोपाल शहर में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर 250 से अधिक अस्पतालों में 11,500 मरीजों को भर्ती करने की सुविधा उपलब्ध है। इनमें से मात्र 150 अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है।
BHOPAL को मेट्रो रेल नहीं मेट्रो हॉस्पिटल चाहिए
भोपाल शहर में विकास के नाम पर सरकार ने अकूत धन खर्च किया है। पुल और पार्क बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए। भोपाल में मेट्रो ट्रेन के लिए हजारों करोड रुपए खर्च किए जा रहे हैं परंतु इसी भोपाल शहर में चिकित्सा उपकरणों और दवाइयों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। अस्पताल के लिए सरकार के पास जमीन नहीं है। सरकार नहीं समझेगी। जनता को ठीक प्रकार से समझाना होगा कि उसे मेट्रो रेल नहीं मेट्रो हॉस्पिटल चाहिए।