भोपाल। कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने लोगों को संभलने का मौका नहीं दिया। सरकार के पास कोई इंतजाम नहीं थे। नतीजा श्मशान घाट में लाशों के ढेर लग गए। मध्य प्रदेश के उज्जैन में संतोष कुमार जैन और उनका पूरा परिवार मात्र 15 दिनों में खत्म हो गया। फिलहाल उनके करोड़ों के मकान के बाहर एक गार्ड पहरा दे रहा है।
बताया गया है कि उज्जैन के आदर्श विक्रम नगर में रहने वाले संतोष कुमार जैन के पिता का देवास में कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण निधन हो गया था। सभी लोग देवास गए थे। वापस आने के बाद 8 अप्रैल को पत्नी मंजुला जैन की तबीयत खराब हो गई है। रिपोर्ट आने के बाद जब तक इलाज शुरू होता, 10 अप्रैल को उनका निधन हो गया। संतोष कुमार और उनकी 26 साल की बेटी आयुषी जैन ने भी जांच के लिए सैंपल दिया। दोनों पॉजिटिव निकले। जान बचाने के लिए सब कुछ दाव पर लगा दिया परंतु दवाओं की किल्लत और कालाबाजारी के कारण पर्याप्त इलाज नहीं मिल पाया। 16 अप्रैल को संतोष कुमार जैन और 19 अप्रैल को आयुषी जैन का निधन हो गया। भरा पूरा परिवार नहीं रहा। संतोष और आयुषी के शव का अंतिम संस्कार लावारिस लाशों की श्रेणी में प्रशासन ने कराया।
घर की देखरेख के लिए एक गार्ड तैनात
संतोष कुमार जैन बिजली कंपनी से कुछ समय पहले ही सेवानिवृत्त हुए थे। जबकि उनकी पत्नी मंजुला हरिफाटक क्षेत्र में स्थित शासकीय स्कूल में शिक्षिका थीं। पैसे की कोई कमी नहीं थी। पूरा परिवार हंसी खुशी रहता था। परिचितों ने बताया कि जैन दंपती की दो बेटियां हैं। एक शादी के बाद नीदरलैंड में रहती है। इसलिए वह दादाजी की मौत पर देवास में नहीं थी। परिवार के सदस्यों की मौत के बाद रिश्तेदारों ने घर की देखरेख के लिए एक गार्ड तैनात किया है। दूसरी बेटी नीदरलैंड से आएगी तब शेष प्रक्रिया पूरी की जाएगी।