चैत्र नवरात्रि: नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस पर्व में नौ दिनों तक व्रत रखे जाते हैं। जहां घटस्थापना से नवरात्रि व्रत की शुरूआत होती है तो वहीं कन्या पूजन के साथ व्रत का समापन भी किया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है।
अष्टमी और नवमी की तिथि में कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। कन्या पूजन में 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है। इसमें एक लड़के को भी आमंत्रित किया जाता है। इस लड़के को बटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे लंगूरा भी कहा जाता है। कन्याओं और बटुक भैरव के स्वरूप के पैरों को जल से स्वच्छ करते हैं।
अष्टमी तिथि शुभ मुहूर्त (20 अप्रैल 2021)
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:11 से 21 अप्रैल 04:55 बजे तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:22 बजे से शाम 06:46 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:17 बजे से दोपहर 03:08 बजे तक
अमृत काल- 21 अप्रैल रात्रि 01:17 बजे से 21 अप्रैल 2021 सुबह 02:58 बजे तक
नवमी शुभ मुहूर्त (21 अप्रैल 2021)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 10 मिनट से, सुबह 04 बजकर 54 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 17 मिनट से 03 बजकर 09 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06 बजकर 22 मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 22 अप्रैल मध्य रात्रि 12 बजकर 29 मिनट तक
रवि योग मुहूर्त- 2021 को शाम 07 बजकर 59 मिनट से 22 अप्रैल को शाम 05 बजकर 39 मिनट तक
कन्या पूजन विधि / KANYA POOJAN VIDHI
सभी नौ कन्याओं और एक कंजक के पैर स्वच्छ जल से धोकर उन्हें आसन पर बिठाएं।
अब सभी कन्याओं का रोली या कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
इसके बाद गाय के उपले को जलाकर उसकी अंगार पर लौंग, कर्पूर और घी डालकर अग्नि प्रज्वलित करें।
इसके बाद कन्याओं के लिए बनाए गए भोजन में से थोड़ा सा भोजन पूजा स्थान पर अर्पित करें।
अब सभी कन्याओं और कंजक के लिए भोजन परोसे।
उन्हें प्रसाद के रूप में फल, सामर्थ्यानुसार दक्षिणा अथवा उनके उपयोग की वस्तुएं प्रदान करें।
सभी कन्याओं के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान पूर्वक विदा करें।