भारत भर में हर रोज हजारों लोगों की मृत्यु हो जाती है और गंगा नदी में उनकी अस्थियां विसर्जित की जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और सदियों तक चलती रहेगी। सवाल यह है कि क्या ऐसा करने से पवित्र गंगा नदी का जल दूषित नहीं हो जाता। क्या सचमुच है गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मोक्ष प्राप्त होता है। यह परंपरा कोई अंधविश्वास है या फिर इसके पीछे कोई साइंस छुपा हुआ है। आइए पता लगाते हैं:-
नदियों में अस्थि विसर्जन का कभी किसी ऋषि-मुनि ने विरोध क्यों नहीं किया
भारत ही नहीं पूरी दुनिया में चाहे कोई वैष्णव संप्रदाय का हो या शैव संप्रदाय का उसकी एक मनोकामना समान रूप से होती है। मृत्यु के पश्चात उसकी अस्थियों का विसर्जन स्वर्ग से अवतरित हुई पवित्र एवं परम पूज्य गंगा नदी के जल में किया जाए। माना जाता है कि ऐसा करने से मृत मनुष्य की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्ष क्या होता है और इससे आत्मा को क्या फायदा होता है, इस पर डिस्कस फिर कभी करेंगे परंतु एक बात तो क्लियर है कि मोक्ष फायदे की चीज है, लेकिन सवाल यह है कि मरने वाला व्यक्ति भगवान विष्णु का भक्त हो या भगवान शिव का, वह क्यों चाहता है कि गंगा नदी का जल उसकी अस्थियों के कारण दूषित हो जाए। कभी किसी ने इसका विरोध क्यों नहीं किया। कोई तो लॉजिक होना चाहिए।
पवित्र गंगा आदि नदियों में अस्थि विसर्जन का रहस्य
कॉमर्स के स्टूडेंट सचिन कुमार ने विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और नदियों के जल पर की गई रिसर्च आदि का अध्ययन करने के बाद बताया कि पवित्र नदियों में मृतक मनुष्यों की अस्थि विसर्जन के पीछे बहुत ही महत्वपूर्ण वैज्ञानिक कारण है। दरअसल, सभी पवित्र नदियों के जल का सर्वाधिक उपयोग कृषि कार्य के लिए होता है।
हड्डियों (शव की राख) में फास्फेट की मात्रा अधिक होती है। फॉस्फेट कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। फॉस्फेट मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है और फसल उत्पादकता स्तर को बढ़ाता है। यही कारण है कि मृत्यु के पश्चात अस्थियों को गंगा आदि पवित्र नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है। मोक्ष का लॉजिक कुछ इस प्रकार है कि प्रकृति के पंच तत्वों से बना शरीर प्रकृति को वापस समर्पित कर दिया जाता है। अंत में अस्थियां शेष रह जाती है। नदी में विसर्जित करने से वह भी प्रकृति को वापस समर्पित हो जाती है और आत्मा पर कोई बोझ नहीं रहता। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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