ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीजाें के इलाज में उपयाेगी माने जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर हुई परेशानी से निपटने के लिए नया रास्ता खाेज लिया है। उपलब्धता के बावजूद निजी अस्पतालाें में भर्ती मरीजाें काे इंजेक्शन न मिलने और अस्पताल प्रबंधन की मनमानी राेकने के लिए नया साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है।
ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कंपनी और नेशनल इंफॉरमेटिक्स (एनआइसी) मिलकर यह सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं। इसके जरिए रेमडेसिविर की जरूरत वाले मरीज के तीमारदार या निजी अस्पताल भी अपनी मांग ऑनलाइन भेज सकेंगे। प्रशासन-स्वास्थ्य की टीम मांग की सत्यता और आवश्यकता का परीक्षण करेगी। इसके बाद इंजेक्शन उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
गंभीर मरीजाें के स्वजन इसके लिए बनाई गई वेबसाइट या माेबाइल एप पर लाग-इन कर रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग कर सकेंगे। इसमें मरीज की जानकारियां, संक्रमण की स्थिति, डाक्टर का पर्चा आदि अपलाेड करना हाेगा। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की टीम उस मांग का परीक्षण करेगी। आनलाइन आवेदन काे स्वीकृत या अस्वीकृत किया जाएगा। आवेदन स्वीकृत हाेने की स्थिति में रेमडेसिविर सीधे उस अस्पताल में पहुंचा दिया जाएगा, जहां मरीज भर्ती है। यह वेबसाइट और एप सात दिन में तैयार हाे जाएगा।
रेमडेसिविर का दुरुपयोग न हो इसके लिए जिस मरीज के अटेंडेंट की डिमांड रेमडेसिविर के लिए आएगी, उस अस्पताल की डिमांड को भी चेक किया जाएगा। देखा जाएगा कि संबंधित निजी अस्पताल उसी मरीज के लिए डिमांड कर रहा है या नहीं। इससे इंजेक्शन की कालाबाजारी भी खत्म हाेगी। रेमडेसिविर की कीमत, आदि भी प्रदर्शित की जाएगी। स्वजन काे रसीद भी मिलेगी।