ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शुक्रवार की रात शहर पर भारी थी। आक्सीजन को लेकर पूरे शहर में हाहाकर मचा हुआ था। जेएएच के आइसीयू सहित निजी अस्पतालाें में ऑक्सीजन का संकट खड़ा हाे गया था। शासन-प्रशासन के हाथ-पैर फूले हुए थे। इस संकट की घड़ी में एसपी को मीडिया से मिला एक आइडिया काम कर गया।
एसपी अमित सांघी ने तड़के ही शहर के सभी थाना प्रभारियों को सोते से उठाकर आदेश दिया कि आज सड़कों पर चेकिंग हवलदार व सिपाहियों के हवाले करो। अपने-अपने क्षेत्र के वर्कशॉप व वैल्डिंग प्लांटों का पता कर उनके आक्सीजन के सिलिंडरों को उठाकर अपने-अपने क्षेत्र के निजी अस्पतालाें में पहुंचाओ। अगर दुकान मालिक नहीं मिले तो ताला तोड़कर सिलिंडर निकालकर अपना ताला लगा दो।
पुलिस ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए सवा सौ से अधिक आक्सीजन सिलिंडरों का इंतजाम कर निजी अस्पतालों में पहुंचाकर लोगों की जान बचाई है। सबसे अधिक खराब स्थिति लोट्स व वेंदात अस्पताल की थी। दोनों अस्पतालों में पुलिस ने पांच-पांच सिलिंडरों की आपूर्ति कर लोगों की जान बचाई।
शुक्रवार की रात से ही आक्सीजन के अभाव शहर में हालत खराब थी। इस बात से प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी वाकिफ थे। आक्सीजन के अभाव में होने वाली मौतों से शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की पूरी आशंका थी। अफसर इन हालातों से निपटने के लिए चितिंत थे। रात में एसपी अमित सांघी को एक मीडिया कर्मी ने आइडिया दिया कि वैल्डिंग प्लांट व वर्कशॉपों से ऑक्सीजन सिलेंडर उठाकर निजी अस्पतालों में पहुंचाकर लोगों की कुछ घंटों तक जान बचा सकते हैं। यह आइडिया काम कर गया।
एसपी ने रात में ही वरिष्ठ डाक्टर से सलाह ली। उन्होंने बताया कि यह आक्सीजन मरीज को दी जा सकती है। बस सिलिंडर को अच्छी तरीके से पानी से धोकर अस्पताल पहुंचाएं। इसके बाद पुलिस ने इस आइडिया पर काम किया और संकट की घड़ी को टालने में सफल हुए।
बहोड़ापुर थाना प्रभारी अमर सिंह सिकरवार ने बताया कि पुलिस अधीक्षक का वायरलैस सेट पर संदेश मिलते ही पूरे अमले के साथ ट्रांसपोर्ट नगर पहुंच गए। गुमठियों व वर्कशॉपों पर मोबाइल नंबर लिखे हुए थे। पहले काल लगाकर उन्हें बुलाने का प्रयास किया। कुछ लोगों ने आनाकानी भी की। झूठ बोला की हमारे पास आक्सीजन के सिलिंडर नहीं है। एसपी के निर्देश पर इन दुकानों व गुमठी के ताले तोड़कर सिलिंडर निकालकर अस्पतालों में पहुंचा दिए। दोपहर साढ़े बारह बजे तक 22 सिलिंडर अस्पतालों में पहुंचा चुके हैं। 15 की और जानकारी मिली है।
इंदरगंज थाना प्रभारी शैलेंद्र भार्गव ने बताया कि हास्पिटल रोड पर स्थित हास्पिटलों से संपर्क कर पूछा गया कि किन-किन को आक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता है। वेदांता व लोट्स हास्पिटल में सबसे अधिक हालत खराब थी। इन दोनों अस्पतालों में 70 से अधिक भर्ती थे और इनके पास 15 से 20 मिनिट की आक्सीजन बची थी। इन दोनों हास्पिटलों को पांच-पांच सिलिंडर दिए गए। दो सिलिंडर परिवार हास्पिटल पहुंचाए। इसके अलावा अन्य हास्पिटलों में सिलिंडर पहुंचाए। यह सिलिंडर बहोड़ापुर, माधवगंज व गिरवाई थाने ने उपलब्थ कराए थे।
वर्जन-
मीडिया से आइडिया मिलने पर उस पर सुबह काम किया। थाना प्रभारियों को निर्देशित किया कि किसी सूरत में अपने-अपने क्षेत्रों के वर्कशॉप व वैल्डिंग प्लांटों से आक्सीजन सिलिंडर निकालकर प्राइवेट हास्पिटलों में जरूरत के हिसाब से पहुंचाओ। दोपहर 2 बजे तक सवा सौ के लगभग सिलिंडर अस्पतालों में पुलिस ने पहुंचा दिए थे। जिससे कई लोगों की जान बचाने में पुलिस सफल रही और संकट के समय को टालने में आखिर हम सफल हुए। इस कार्य से पूरे विभाग को आत्मीय सुकुन मिला है।