ग्वालियर। इस तरह के आरोप पहले भी सामने आ चुके हैं। एक और मामला सामने आया है। अस्पताल में भर्ती कोरोना पीड़ित के नाम पर इंजेक्शन दर्ज कर लिया गया लेकिन मरीज को लगाया नहीं गया। तबीयत खराब होने पर जब मरीज का बेटा इंजेक्शन लेने गया तब खुलासा हुआ कि उनके नाम पर तो इंजेक्शन जारी हो चुका है।
आवेदन लेकर पहुंची बेटे को पता चला इंजेक्शन तो 1 दिन पहले ही जारी हो गया
ग्वालियर निवासी राजेश शर्मा के पिता बेदीराम शर्मा कोविड पेशेंट हैं। वह लाइफ केयर हॉस्पिटल में भर्ती हैं। डॉक्टर ने उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखा था। इस पर राजेश ने हॉस्पिटल से इंजेक्शन के लिए आवेदन कलेक्टोरेट पहुंचाया था। साथ ही, एक कॉपी लेकर वह खुद भी कलेक्टोरेट पहुंचे। इसके बाद भी उन्हें इंजेक्शन नहीं मिला। 27 अप्रैल को जब राजेश कलेक्टोरेट में ड्रग इंस्पेक्टर के पास पहुंचे, तो वहां ड्रग इंस्पेक्टर दिलीप अग्रवाल नहीं मिले, लेकिन वहां एक लिस्ट चस्पा थी। लिस्ट में उनके नाम लिखे थे, जिनको एक दिन पहले ही रेमडेसिविर दिए गए हैं। इसमें उनका भी नाम था, लेकिन राजेश का कहना था कि उन्हें इंजेक्शन मिला ही नहीं। यही कारण था कि उनके पेशेंट की हालत बिगड़ी और वेंटिलेटर पर ले जाना पड़ा।
3 घंटे तक ड्रग इंस्पेक्टर बहस करते रहे, रजिस्टर नहीं दिखाया
कलेक्टोरेट में 3 घंटे तक परेशान होने के बाद ड्रग इंस्पेक्टर अन्य कमरे में चाय की चुस्की लेते मिले, जबकि परेशान लोग उनको आधा सैकड़ा से ज्यादा कॉल लगा चुके थे। राजेश की मदद के लिए उनके रिश्तेदार हिमांशु शर्मा वहां पहुंचे। ड्रग इंस्पेक्टर का कहना था कि उन्होंने रिक्वॉयरमेंट के आधार लाइफ केयर हॉस्पिटल को इंजेक्शन दे दिया है, लेकिन हॉस्पिटल संचालक अतुल श्रीवास्तव का कहना था कि उनको इंजेक्शन नहीं मिला है। जब ड्रग इंस्पेक्टर से रजिस्टर दिखाने के लिए कहा कि उन्होंने किसे इंजेक्शन दिया है, तो वह बताने को तैयार नहीं हुए।
परिजनों को डराने के लिए ड्रग इंस्पेक्टर ने पुलिस बुलाई
जब पेशेंट के परिजन ने कलेक्टोरेट में हंगामा किया, तो ड्रग इंस्पेक्टर घबरा गए और पुलिस को बुला लिया। आनन-फानन में ड्रग इंस्पेक्टर ने राजेश शर्मा को उनके नाम का इंजेक्शन दिया, लेकिन उस सवाल का जवाब नहीं मिला कि एक दिन पहले किसे इंजेक्शन देकर बेदीराम शर्मा के नाम पर चढ़ा दिया गया था। यह पहला मौका नहीं है, इस तरह के मामले आए दिन हो रहे हैं।