नई दिल्ली। भारत के करोड़ों प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए गुड न्यूज़ है। जॉब चेंज करने की स्थिति में प्रोविडेंट फंड की तरह उनकी ग्रेजुएटी भी ट्रांसफर हो जाएगी। भारत सरकार, कर्मचारियों की यूनियन एवं उद्योगपतियों के बीच इस मुद्दे पर सहमति बन गई है। जल्द ही इस का नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि औसत ₹35000 सैलरी पाने वाले कर्मचारी की 20 साल की सेवा में ग्रेच्युटी ₹400000 से अधिक हो जाती है।
न्यूज चैनल सीएनबीसी आवाज की एक रिपोर्ट के मुताबिक निजी सेक्टर के कर्मचारियों को पीएफ की तरह ग्रेच्युटी ट्रांसफर करना का ऑप्शन मिलेगा। ग्रेच्युटी पोर्टेबिलिटी पर सहमति बनने के बाद जॉब चेंज करने पर पीएफ की तरह ग्रेच्युटी भी ट्रांसफर होगी। सूत्रों के अनुसार श्रम मंत्रालय यूनियन और इंडस्ट्री की मीटिंग में ग्रेच्युटी को सीटीसी का हिस्सा बनाने के प्रस्ताव पर बातचीत हुई है। यह प्रावधान समाजिक सुरक्षा अधिनियम में शामिल किया जाएगा। इस फैसले पर नोटिफिकेशन जल्द आने की संभावना है। हालांकि इसपर काम के दिनों को बढ़ाने पर इंडस्ट्री ने सहमति नहीं जताई है। इंडस्ट्री ग्रेच्युटी के लिए 15 से 30 दिन के वर्किंग डे के प्रस्ताव पर सहमत नहीं है।
कर्मचारी ग्रेच्युटी क्या होती है
किसी भी कंपनी में 5 साल या उससे अधिक काम करने पर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार हो जाता है। पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत कंपनी को अपने कर्मचारी को ग्रेच्युटी का भुगतान करना होता है लेकिन प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी इसके बारे नहीं जानते इसलिए भुगतान प्राप्त नहीं कर पाते।
कर्मचारी को ग्रेच्युटी का पेमेंट कब मिलता है
- रिटायर होने वाले कर्मचारी को।
- एक ही कंपनी में न्यूनतम 5 साल या उससे अधिक समय तक कार्य करने वाला कर्मचारी यदि नौकरी छोड़ता है या उसे जॉब से हटाया जाता है।
- बीमार या एक्टिडेंट के कारण मौत या विकलांग होने पर।
ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन फार्मूला
अगर किसी व्यक्ति ने 20 साल एक ही कंपनी में काम किया है। उसकी अंतिम सैलरी 75000 रुपए (बेसिक और डीए) मिलाकर है। यहां महीने में 26 दिन को गिना जाता है, क्योंकि 4 दिन अवकाश रहता है। वहीं एक वर्ष में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी कैलकुलेशन किया जाता है। कुल ग्रेच्युटी का पैसा - 75000 रुपए x (15/16) x 20 = 865385 रुपए।