इंदौर। मध्य प्रदेश में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के 35 कर्मचारी और अधिकारी अब तक कोरोना के चलते जान गंवा चुके हैं। ये कर्मचारी सिर्फ उज्जैन इंदौर संभाग के है, जबकि संक्रमित होने वाले कर्मचारियों की संख्या हजार से भी ज्यादा है। बिजली कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर की तरह न तो टीकाकरण की सुविधा मिल रही है न ही बीमे की।
मप्र विद्युत मंडल पत्रोपाधि अभियंता संघ व बिजली कर्मियों के अन्य संगठनों ने साथ मिलकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कोरोना संकट में बिजली कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा देते हुए सुविधाओं की मांग की है। संघ के महासचिव इंजीनियर जीके वैष्णव के अनुसार बीते समय शुरू हुए टीकाकरण में भी 45 वर्ष की आयु सीमा की बाध्यता के कारण लाइन स्टाफ, आउटसोर्स कर्मचारियों को टीकाकरण का लाभ नहीं मिला।
मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग रखी गई है कि टीकाकरण में आयु सीमा का बंधन खत्म हो, जिससे कंपनी में काम कर रहे युवा साथी भी वैक्सीनेशन करा सके और कोरोना संक्रमण से कुछ हद तक बच सकें। साथ ही मृत कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर की बीमा सुविधा की राशि देते हुए राहत प्रदान की जाए। दरअसल बिजली कंपनी इस समय भी वसूली अभियान चला रही है। कंपनी के कर्मचारियों के अनुसार कोरोना काल में वसूली अभियान से कर्मचारियों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में कर्मचारियों को अलग-अलग स्थानों पर जाना पड़ता है और साथ ही कई लोगों से मिलना होता है। कंपनी को इस अभियान को रोक देना चाहिए और सिर्फ अभी बिजली आपूर्ति पर ही ध्यान देना चाहिए।