इंदौर। मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर को रोकने के लिए शिवराज सिंह सरकार मैनेजमेंट के बजाय इवेंट में बिजी हो गई है। नतीजा कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज के लिए लगाए जाने वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन खत्म हो गया। मरीज तड़प रहे हैं। परिजन दवा की दुकानों के बाहर भीड़ लगाकर खड़े। इंदौर में हाहाकार की स्थिति है। इंजेक्शन के अभाव में कितनी मौतें होंगी, कभी कोई रिकॉर्ड नहीं मिलेगा।
कोरोनावायरस की दूसरी लहर का अंदेशा काफी पहले हो गया था। जब महाराष्ट्र में तेजी से मामले बढ़ रहे थे तभी समझ में आ गया था कि मध्य प्रदेश इससे अछूता नहीं रह पाएगा लेकिन सरकार ने कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया। कोई इंतजाम नहीं किए। जैसे-जैसे मरीज बढ़ते और मरते जा रहे हैं वैसे वैसे सरकार इंतजाम कर रही है। 25 मार्च के बाद से लगातार इंजेक्शन की डिमांड बढ़ रही है। तब से लेकर 5 अप्रैल तक सरकार ने इंजेक्शन की जमाखोरी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू हुई लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। आज हालात यह है कि कोरोनावायरस का इंजेक्शन ब्लैक में भी नहीं मिल रहा है।
इंदौर का हाहाकार टीवी चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ बनने के बाद कलेक्टर मनीष सिंह गाइडलाइन जारी कर दिए। कालाबाजारी और व्यापारियों के गोदामों की तलाशी के बजाए नियम बनाया गया है कि बिना आधार कार्ड अथवा सरकारी आईडी के किसी भी व्यक्ति को कोरोनावायरस का इंजेक्शन नहीं बेचा जाएगा। इंजेक्शन खरीदने आए मरीज के परिजन को पॉजिटिव रिपोर्ट दिखानी होगी। इसके अलावा डॉक्टर की सिफारिश भी लिखवाकर लानी पड़ेगी। कुल मिलाकर इस तरह की गाइड लाइन बनाई है कि डिमांड कम हो जाए। स्टॉकिस्ट से कहा है कि रोजाना सुबह 11 बजे यह बताना होगा कि डिमांड कितनी हुई, सप्लाई कितनी की। ड्रग इंस्पेक्टर मॉनीटरिंग करेंगे कि नियमानुसार ही सप्लाई हो रही है या नहीं।
उत्पादन की तुलना में 10 गुना डिमांड, 6000 की डिमांड इंदौर में
प्रदेश में सबसे ज्यादा डिमांड इंदौर में है। यहां 700 मरीज रोजाना आ रहे हैं। संक्रमण दर भी 16% तक पहुंच गई है। मौतें भी हो रही हैं। इंदौर जिले में रोजाना पांच से 6000 इंजेक्शन की डिमांड है। दवा कंपनी के एक होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया देश में पांच कंपनियों में मिलकर अभी की स्थिति में रोजाना 90000 इंजेक्शन ही बना पा रही है। देश में रोजाना 9 से 10 लाख इंजेक्शन की डिमांड पहुंच गई है।
ड्रग कंट्रोलर का बयान पढ़िए
वैक्सीन की शॉर्टेज पूरे देश भर में है अस्पतालों और डॉक्टरों को निर्देश जारी कर रहे हैं कि वह कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों को केवल उतना ही इंजेक्शन लगाएं जिससे संक्रमण दूर हो जाए। जरूरत होने पर ही इंजेक्शन लगाया जाए। जहां तक कीमतों का सवाल है। यदि शिकायत आएगी तो हम कार्रवाई करेंगे। - संजय गोयल, ड्रग कंट्रोलर, मध्यप्रदेश