जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में कोरोना के संक्रमण काल में मानवीय संवेदनाएं भी मरती जा रही हैं। गौर के सालीवाड़ा में एक वृद्ध का शव दो दिनों तक घर के अंदर पड़ा रहा। पड़ाेसी कोरोना के खौफ के चलते खोज-खबर लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। परिवार के लोग भी संक्रमित होकर होम आइसोलेशन में हैं।
नगर निगम की टीम ने यह कहते हुए शव उठाने से मना कर दिया कि वह शहरी क्षेत्र से बाहर का है। बाद में किसी तरह वृद्ध का कोविड गाइडलाइन के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया। जानकारी के अनुसार सालीबाड़ा पेट्रोल पंप के सामने वन बिहार कॉलोनी निवासी परेश सौरभि की दो दिन पहले मौत हो गई। पड़ोसियों ने दो दिन पहले उनकी आवाज सुनी थी। वृद्ध परेश दिव्यांग थे। घर में अकेले रहते थे। उनके भाई और परिवार सिविल लाइंस में रहते हैं। इसी दौरान उनकी तबीयत खराब हुई और मौत हो गई। पड़ोसियों को शनिवार को भनक लगी, तो पुलिस को खबर दी।
रविवार सुबह गौर चौकी की पुलिस पहुंची। चौकी प्रभारी नितिन पांडे के मुताबिक परेश का शव बिस्तर पर औंधे मुंह पड़ा था। शव से दुर्गंध आने लगी थी। ग्रामीणों का दावा है कि वह कोरोना संक्रमित थे। कोरोना गाइडलाइन के अनुसार शव का अंतिम संस्कार गांव में किया गया। परेश के बड़े भाई नरेंद्र सौरभि ने लिखित में सहमति दी थी।
पुलिस के मुताबिक परेश के बड़े भाई सिविल लाइन गोविंद भवन काॅलोनी निवासी नरेंद्र सौरभि से संपर्क किया, तो उसने हाथ खड़े कर दिए। बोला- उसका पूरा परिवार कोरोना से संक्रमित होकर पांच दिन से होम आइसोलेशन में हैं। फिर उसने पुलिस-प्रशासन से ही शव का अंतिम संस्कार कराने में मदद मांगी।
पुलिस ने नगर निगम को शव उठाने के लिए सूचना दी, लेकिन वहां से बताया गया कि वृद्ध का घर नगर निगम सीमा से बाहर है। इस कारण वे शव उठाने नहीं आ सकते। करीब दो घंटे तक शव पड़ा रहा। पड़ोसी शव उठाने को तैयार नहीं थे। परिवार वाले पहले ही मजबूरी गिना चुके थे। गौर पुलिस ने अधिकारियों को अवगत कराते हुए सहयोग मांगा, तब जाकर नगर निगम की टीम पहुंची।