जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में कोरोना संक्रमण के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी चरम पर है। शहर के मढोताल में न्यू मुनीष मेडिकल स्टोर्स के दो कर्मियों द्वारा 18 हजार रुपए में एक इंजेक्शन बेचने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा कि पुलिस ने तीन ऐसे लोगों को दबोचा है, जो इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे थे। आराेपी 4 इंजेक्शन 77 हजार रुपए में बेच रहे थे। भोपाल में भर्ती मरीज के लिए परिजन जबलपुर में इंजेक्शन की व्यवस्था करने पहुुंचे थे।
जानकारी के अनुसार माढ़ोताल पुलिस को गुरुवार को सूचना मिली थी, कुछ लोग साईं होटल वाली गली में नेमा हार्ड अस्पताल के पास कोरोना के इलाज में प्रयोग वाला रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचने के लिए खड़े हैं। टीआई रीना पांडे के मुताबिक पुलिस पहुंची तो मौके पर पांच लोग मिले। इनमें से तीन लोग पुलिस को देख कर भागने लगे। पुलिस ने तीनों को पकड़ लिया। उनकी पहचान बुढ़ागर बस स्टैंड कमानिया गेट गोसलपुर निवासी विवेक असाटी और सिहोरा निवासी रामलखन पटेल और हटा जिला दमोह निवासी अतुल शर्मा के रूप में हुई। विवेक असाटी आईटीआई के सामने किराए के मकान में रहता है।
मौके पर ढांढिया पिपरिया होशंगाबाद निवासी राजेंद्र सिंह और रूद्र प्रताप सिंह मिले। राजेंद्र ने बताया कि उसके भाई तरवर सिंह एलबीएस अस्पताल भोपाल में भर्ती है। उनकी हालत नाजुक है। डॉक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की व्यवस्था करने के लिए बोला था। इसी जुगाड़ में वे जबलपुर आए थे। इस खुलासे के बाद पुलिस ने गिरफ्तार तीनों आरोपियों से चार इंजेक्शन जब्त किए।
राजेंद्र की बात विवेक असाटी से हुई थी। विवेक ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए रामलखन पटेल से और उसने हटा जिला दमोह निवासी अतुल शर्मा से बात की। अतुल ने 5600 रुपए कीमत वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कीमत 11 हजार रुपए बताई। चार इंजेक्शन के एवज में 44 हजार रुपए मांगे। रामलखन पटेल ने उसमें 8 हजार रुपए अपना फायदा जोड़कर विवेक असाटी को 52 हजार रुपए कीमत बताई। विवेक ने भी अपना 25 हजार का फायदा जोड़कर राजेंद्र को 77 हजार रुपए बताई थी।