जबलपुर। सरकारी व्यवस्थाओं की नाकामी का सबूत देखना हो तो शमशान घाट आइए। मुर्दे वेटिंग पर हैं। घरवाले लकड़िया लिए चिता सजाने की जगह तलाश रहे हैं लेकिन एक मामले में प्रशासन संवेदनशील है। भले ही सरकारी रिपोर्ट में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या कितनी भी कम बताई जाए लेकिन चौहानी श्मशान घाट का क्षेत्रफल बढ़ा दिया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा चिताएं जलाई जा सके।
जबलपुर में साठ मौतें हुईं थीं, प्रशासन ने आठ मौतें बताईं
मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में सरकारी आंकड़े में 8 मौतें बताई गईं, जबकि गुरुवार को दो श्मशान घाटों पर 60 कोविड शवों का अंतिम संस्कार हुआ। एक शव तो परिजन अस्पताल में ही छोड़कर चले गए। कोविड से मृत लोगों के अंतिम संस्कार में जगह की कमी होने लगी है। गुरुवार को जेसीबी लगाकर चौहानी श्मशान घाट में जगह समतल कराई गई। इससे यहां 15 से 20 शवों के संस्कार के लिए जरूरी जगह का इंतजाम और हो गया। वहीं, तिलवारा में भी कोविड संक्रमितों का अंतिम संस्कार शुरू कर दिया गया है। गुरुवार को यहां 7 संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
4,614 एक्टिव केस और अस्पतालों में सिर्फ 1602 बेड
अस्पतालों में एक-एक बेड के लिए मारामारी मची हुई है। यहां 4,614 एक्टिव केस और 2,082 संदिग्ध केस हो गए हैं। शहर में कुल 764 वेंटिलेटर पर मरीज हैं। इसी तरह ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 1602 बेड लगभग फुल हैं। शहर की कुछ निजी अस्पतालों के बाहर कारों में मरीज को लेकर परिजन इंतजार में हैं। उन्हें उम्मीद है कि किसी मरीज की छुट्टी हो जाए तो उन्हें बेड मिल जाए। बेड की दलाली भी शुरू हो गई है।
अंतिम संस्कार मुश्किल था, परिजन शव छोड़कर चले गए
गुरुवार को मेडिकल सहित शहर के प्राइवेट अस्पतालों में कुल 59 लोगों की मौत हुई। वहीं गढ़ा व कांचघर में दो संक्रमितों की मौत घर पर हुई। 59 शवों में 31 की मौत मेडिकल कॉलेज में हुआ। नगर निगम की टीम और मोक्ष संस्था की ओर से चौहानी और तिलवारा श्मशान घाट में शवों का अंतिम संस्कार किया गया। सिवनी निवासी एक संक्रमित की मौत सुखसागर में होने के बाद परिजन शव छोड़कर चले गए।
जबलपुर मेडिकल में बेड दलालों के माध्यम से ₹15000 में
अस्पतालों में बेड की दलाली भी शुरू हो गई। कटनी से संक्रमित होकर आए एक मरीज को भर्ती कराने के लिए परिजन बुधवार की पूरी रात परेशान हुए। गुरुवार को दलाल ने 15 हजार रुपए लेकर मरीज को मेडिकल अस्पताल में बेड दिला दिया। मरीज के परिजन इस डर से इस दलाल की शिकायत करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं कि कहीं उनके मरीज के इलाज में न लापरवाही हो जाए।