भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का सरकारी जिला चिकित्सालय कोरोनावायरस के मामले में लापरवाही और बदइंतजामी की मिसाल बन गया है। ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो जाने के कारण 2 मरीजों की मौत का मामला भी ठंडा नहीं हुआ कि आज वैक्सीनेशन के समय बवाल मच गया। लोग सुबह 8:30 बजे से कतार में खड़े थे लेकिन सुबह 9:30 बजे तक ना तो वैक्सीन थी और ना ही वैक्सीनेशन करने वाला स्टाफ।
अस्पताल के वैक्सीनेशन केन्द्र पर 9.30 बजे सबसे पहले एक महिला को वैक्सीन लगाई गई। रविवार होने की वजह से कम लोग वैक्सीन लगाने के लिए पहुंचे थे। सरकार ने 45 से कम उम्र के फ्रंट लाइन और हेल्थ वर्कर्स का नया रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया है। यहां पर एक 45 से कम उम्र का पुलिस विभाग में कार्यरत कर्मी वैक्सीन लगाने पहुंचा। रजिस्ट्रेशन कर रहे शख्स ने उसका रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया। जब इसका कारण पूछा तो बताया कि सरकार ने कल 10 बजे ऑर्डर किया है। इसमें फ्रंट लाइन वर्कर्स और हेल्थ वर्कर्स के नए रजिस्ट्रेशन कर वैक्सीन लगाने से मना किया गया है। अभी हेल्थ वर्कर्स को दूसरी वैक्सीन ही लगेगी।
जेपी के वैक्सीनेशन सेंटर पर सुबह पत्नी को वैक्सीन लगवाने पहुंचे रमेश रुपला ने बताया कि वह सुबह 8.30 बजे आ गए थे। यहां पर गेट बंद था। सुबह 9 बजे सेंटर पर ना तो वैक्सीन पहुंची ना ही पूरा स्टाफ आया। मेरी पत्नी को सबसे पहले करीब 9.30 बजे वैक्सीन लगी।