आईपीसी की धारा 73 में आपने ठीक प्रकार से जान लिया कि कठोर कारावास का मतलब सश्रम कारावास नहीं होता बल्कि एकांत कारावास होता है। संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी व्यक्ति को हमेशा के लिए कालकोठरी में नहीं रखा जा सकता। इसे अमानवीय माना गया है। अब प्रश्न यह उपस्थित होता है कि कठोर कारावास से दंडित अपराधी को अधिकतम कितने समय तक काल कोठरी में रखा जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 74 की परिभाषा:-
धारा 74 यह बताती हैं कि किसी भी अपराधी को एकान्त कारावास में लगातार नहीं रखा जाएगा। उसे कुछ अंतराल दिया जाएगा, अर्थात- अगर अपराधी का एकान्त कारावास तीन माह या उससे अधिक है तब प्रत्येक महीने में उसे सात दिन का अंतराल दिया जाएगा। अगर एकान्त कारावास की अवधि तीन माह से कम हो तब उसे सम्पूर्ण कल-अवधि में 14 दिन का अंतराल दिया जाएगा।
उधरणानुसार वाद- चार्ल्स शोभराज बनाम अधीक्षक, केंद्रीय जेल दिल्ली- इस वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया कि बंदियो को आठ से ग्यारह महीनो की लंबी तक कारागार में एकान्त रखा जाना एक अमानवीय एवं बबर्रता पूर्ण कार्य होने के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित मौलिक अधिकार की भावना के विपरीत भी है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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