अपराध तो अपराध होता है और भारतीय दण्ड संहिता में हर अपराध के लिए अलग-अलग धाराएं बनाई गई है लेकिन कुछ अपराध ऐसे भी होते हैं जिन्हें दोबारा करने से संहिता के उसी धारा या आस पास की क, ख, ग आदि की धारा लगाकर दण्डित किया जाता है। लेकिन कुछ अपराध ऐसे हैं जिन्हे दोबारा करने पर अपराधी आईपीसी की धारा 75 का दोषी माना जाता है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 75 की परिभाषा (सरल एवं स्पष्ट शब्दों में):-
अगर को दोषसिद्ध अपराधी जिसे तीन वर्ष या उससे अधिक सजा के लिए अध्याय 12 (सिक्को तथा स्टाम्पों से संबंधित किसी भी अपराध) या अध्याय 17 (संपत्ति के विरुद्ध किसी अपराध) को दोबारा करेगा ऐसे अपराध को दोबारा करनें वाला व्यक्ति धारा 75 के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा। एवं उसे दोबारा अपराध करने के लिए 10 वर्ष की कारावास या आजीवन कारावास से दण्डित किया जा सकता है।
नोट :- अध्याय 12 के अपराध जो सिक्के और सरकारी स्टाम्पों से सम्बंधित विषयों पर भी धारा 230 से धारा 263-(क़) तक होंगे। एवं अध्याय 17 के जो अपराध संपत्ति के विरुद्ध अपराध धारा - 379 से धारा 462 तक होंगे,लेकिन यह धारा उपर्युक्त उन्ही धारा के अपराधों पर लागू होगी जिसमें अपराधी को पूर्व में 3 वर्ष या उससे अधिक कारावास के लिए दण्डित किया गया था। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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