MP में 2.15 लाख पेड़ों के नीचे मिला भारत का सबसे बड़ा हीरा भंडार - NATIONAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल
। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की बकस्वाहा तहसील में भारत का सबसे बड़ा हीरा भंडार मिला है लेकिन यह हीरो का भंडार जंगल की जमीन के नीचे है। जंगल में 2.15 लाख पेड़ लगे हुए हैं जिनमें से 40000 सागवान के हैं। बताना जरूरी है कि पेड़ जितना पुराना होता है मनुष्य को जीवन के लिए उतनी ही अधिक ऑक्सीजन देता है एवं प्रकृति के लिए उपयोगी होता है। सरकार हीरा निकालने के लिए जंगल काटकर खदान बना देगी। 

बक्सवाहा जंगल की जमीन के नीचे कितने हीरे मिल सकते हैं

अभी तक देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार पन्ना जिले में है। यहां जमीन में कुल 22 लाख कैरेट के हीरे हैं। इनमें से 13 लाख कैरेट हीरे निकाले जा चुके हैं। 9 लाख कैरेट हीरे और बाकी है। बकस्वाहा में पन्ना से 15 गुना ज्यादा हीरे निकलने का अनुमान है। छतरपुर जिले के बकस्वाहा के जंगल की जमीन में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का अनुमान है। 

हजारों साल पुराना 382.131 हेक्टेयर जंगल खत्म किया जाएगा 

वन विभाग ने जंगल के पेड़ों की गिनती की, जो 2,15,875 है। इन सभी पेड़ों को काटा जाएगा। इनमें 40 हजार पेड़ सागौन के हैं, इसके अलावा केम, पीपल, तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अर्जुन जैसे औषधीय पेड़ भी हैं। मई 2017 की जियोलॉजी एंड माइनिंग मप्र और रियोटिंटो कंपनी की रिपोर्ट में इस जंगल के अंदर तेंदुआ, बाज (वल्चर), भालू, बारहसिंगा, हिरण, मोर इस जंगल में होना पाया था लेकिन अब नई रिपोर्ट में इन वन्यजीवों के यहां होना नहीं बताया जा रहा है। दिसंबर में डीएफओ और सीएफ छतरपुर की रिपोर्ट में भी इलाके में संरक्षित वन्यप्राणी के आवास नहीं होने का दावा किया है। बताने की जरूरत नहीं कि यह सब कुछ है इसलिए किया जा रहा है ताकि जंगल काटने में कोई परेशानी ना हो। 

पीपी टिटारे, सीसीएफ है या माइनिंग ऑफिसर

पीपी टिटारे, सीसीएफ, छतरपुर (जिनकी ड्यूटी वन और वन्य प्राणियों की रक्षा करना है) का कहना है कि जहां बंदर प्रोजेक्ट की खदान बनना है, वहां अभी 2.15 लाख पेड़ का जंगल है। इस जंगल के बदले बकस्वाहा तहसील में ही 382.131 हेक्टेयर राजस्व जमीन को वनभूमि में डायवर्ट करने का प्रस्ताव कलेक्टर छतरपुर ने दिया है। इस जमीन पर जंगल विकसित करने पर आने वाली लागत का भुगतान कंपनी करेगी। शायद सीसी आपको याद दिलाना होगा कि पुराने पेड़ और नई पेड़ में अंतर होता है। बक्सवाहा में हीरो की मौजूदगी पता लगाने के लिए सर्वे का काम 20 साल पहले शुरू हुआ था। कितना अच्छा होता कि उसी समय नवीन जंगल को लगाने की शुरुआत हो जाती है। 200 साल पुराना नहीं तो कम से कम 20 साल पुराना जंगल तो मिलता है। 

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