भोपाल। सब कुछ वैसा ही होता जा रहा है जैसा कि इतिहास की किताब में महामारी की कहानियों में लिखा हुआ है। एक-एक करके मध्य प्रदेश के 26 जिलों को कोरोनावायरस ने अपनी चपेट में ले लिया है। हवा प्रदूषित हो गई है। वायरस हवा में तैर रहा है और हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं। अस्पतालों में जगह नहीं है, इलाज के लिए इंजेक्शन और ऑक्सीजन नहीं है। इस सबके अलावा दर्दनाक यह भी है कि प्रशासन और प्रबंधन में इंसानियत नहीं है। हर जिले में कलेक्टर के अलावा एक या दो मंत्री-विधायक ऐसे हैं जिन की सिफारिश पर ही बेड मिल पा रहा है।
मध्य प्रदेश सबसे खतरनाक स्थिति वाले जिलों की संख्या 26
इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, खरगोन, रतलाम, बैतूल, रीवा, विदिशा, बड़वानी, सतना, होशंगाबाद, शिवपुरी, कटनी, बालाघाट, शहडोल, राजगढ़, रायसेन, शाजापुर, अनूपपुर, सिंगरौली, टीकमगढ़ और पन्ना ऐसे जिले हैं जहां कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों की संख्या 1000 से अधिक चल रही है। इंदौर में 13000, भोपाल 9000, ग्वालियर 7000 और जबलपुर 5000 से अधिक के साथ सबसे खतरनाक स्थिति में है।
मध्य प्रदेश के 7 जिले जहां स्थिति नियंत्रण में है
खंडवा, हरदा, अलीराजपुर, श्योपुर, अशोक नगर, भिंड और बुरहानपुर मध्यप्रदेश के ऐसे जिले हैं जहां एक्टिव केस की संख्या 500 से कम है। इनमें से खंडवा एकमात्र ऐसा जिला है जहां एक्टिव केस की संख्या 200 से कम है। निश्चित रूप से इन जिलों में कलेक्टर एवं तमाम कोरोना कंट्रोल टीम सफलतापूर्वक काम कर रही है। यह सभी अभिवादन के पात्र हैं।
MADHYA PRADESH COVID19 UPDATE NEWS 21 APRIL 2021
देवास के अग्रवाल समाज के अध्यक्ष बालकिशन गर्ग के घर में उनकी पत्नी और दो बेटों की मौत कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण हो गई। महामारी के तनाव के चलते उनकी छोटी बहू रेखा गर्ग ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
हॉकी के प्रसिद्ध सांख्यिकीविद (स्टेटिशियन) और इतिहासकार बाबूलाल गोवर्धन जोशी (बीजी जोशी) का कोरोना की वजह से मंगलवार को भोपाल में निधन हो गया। वह 67 साल के थे और मध्यप्रदेश के सीहोर में अपने परिवार के साथ रहा करते थे।
जहां एक और इंदौर-भोपाल में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा वहीं दूसरी ओर उमरिया में एक पॉजिटिव मरीज को भर्ती करवाने के लिए कलेक्टर को उसके घर पहुंचे।
भिंड में एक मरीज की इसलिए मौत हो गई क्योंकि उसके ऑक्सीजन का पाइप पंचर था। हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने पाइप नहीं बदला।
रीवा में बीएसएफ के एक जवान को अपनी पत्नी को भर्ती कराने के लिए 12 घंटे लंबी मशक्कत करनी पड़ी। संजय गांधी अस्पताल में एक बिस्तर पाने के लिए उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी।
जबलपुर में छह बहनों के इकलौते भाई की संक्रमण के कारण मौत हो गई।