भोपाल। कुछ दिनों पहले तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार दोहरा रहे थे कि किसी भी कीमत पर लॉकडाउन नहीं किया जाएगा। अब उनका बयान बदल गया है। उनका कहना है कि जहां जरूरत होगी वहां लॉकडाउन किया जाएगा। हालात बेकाबू होने के बाद महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमाएं सील कर दी गई है। हालांकि अभी भी लोगों की आवाजाही जारी है और निर्देशानुसार जांच नहीं हो रही है।
मध्यप्रदेश में 3 अप्रैल 2021 की शाम 6:00 बजे तक सरकारी आंकड़ों में 20,000 से अधिक लोग संक्रमित थे। सरकार का अनुमान है कि अप्रैल के आखिर तक कोरोना अपने पीक पर पहुंच सकता है। इसे देखते हुए सरकार ने फिर से कोविड केयर सेंटर बनाने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश के 31 जिलों में कोरोनावायरस की दूसरी लहर देखी जा रही है। 7 जिलों में बेहद गंभीर स्थिति है। संक्रमण की दर लगातार बढ़ती जा रही है।
सरकारी लापरवाही के कारण आई दूसरी लहर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश शासन बार-बार अपने बयानों और विज्ञापनों में संक्रमण के लिए आम जनता को दोषी ठहरा रहे हैं और दंड स्वरूप प्रतिबंध एवं लॉकडाउन की बात करते हैं। जबकि आलोचकों का कहना है कि मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर की जिम्मेदारी सरकार की है। मध्यप्रदेश में जनता ने नहीं बल्कि नेताओं ने फेस मास्क हटाए थे। उनके पीछे पीछे जनता ने भी उतार दिए। विधानसभा के बजट सत्र में भी कुछ विधायक फेस मास्क पहनकर नहीं आए थे। मुख्यमंत्री, अपने विधायकों को मास्क नहीं पहना पाए, ऐसी स्थिति में जनता को दोषी बताना कहां तक उचित है। यदि महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमाएं पहले ही सील कर दी जाती तो मध्यप्रदेश में संक्रमण नहीं फैलता।