अक्सर देखा जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति अपनी नई दुकान/ स्थापना/ स्टार्टअप शुरू करता है तो सबसे पहले अपने परिवार के सदस्यों को साथ में ले लेता है। नियम अनुसार परिवार के सदस्य (पत्नी, बच्चे, भाई-बहन या फिर रिश्तेदार) दुकान के कर्मचारी होते हैं। ज्यादा मुनाफा के लालच में दुकान संचालक अपनी पत्नी या फिर बच्चों से दिन-रात काम करवाता है। आइए आज समझते हैं कि अपनी पत्नी या फिर बच्चों से दुकान में इस तरह दिन रात काम करवाना दुकान संचालक का अधिकार है या फिर किसी कानून के तहत अपराध।
MP Shops and Establishments Act, 1958 (MP Labour Act) की महत्वपूर्ण धारा 24, 25, 31, 32
1. धारा 24 के अनुसार :- किसी भी बालक को नियोजक द्वारा किसी भी स्थापना में कर्मचारी के रूप में काम नहीं करवाया जाएगा चाहे वह बालक नियोजक के परिवार का सदस्य भी क्यों ना हो। उसे काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
2. धारा 25 के अनुसार:- किसी भी स्थापना में महिला कर्मचारी को प्रातः 7 बजे से पहले तथा रात्रि 9 बजे के बाद कोई काम नही करवाया जाएगा। चाहे वह नियोजक की परिवार की सदस्य (पत्नी या बहन आदि) क्यों ना हो। न ही उसे काम करने की अनुमति दी जायेगी। न ही महिला से ऐसा कोई कार्य करवाया जिससे जिसमे कोई खतरा उत्पन्न हो।
3. धारा 31,32 के अनुसार:- सभी स्थापना को स्वच्छता एवं संवानत युक्त रखना नियोजक का कर्तव्य है। वह स्थापना को समय-समय पर साफ सफाई करवाता रहे, स्वच्छता का ध्यान रखे।
मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम,1958 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
अगर कोई नियोजक या प्रबंधक अपने दायित्वों का पालन नहीं करता है तब वह अधिनियम की धारा 46,47,48 के अंतर्गत दंडनीय होगा। इनकी सुनवाई किसी भी द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट के पास होगी। सजा:- कम से कम 500 रुपये जुर्माने से एक हजार रुपए का जुर्माना या तीन माह से एक वर्ष तक कि कारावास हो सकती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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