गोलगप्पे, फुलकी, पानी बताशा का नाम सुनते ही मुंह में पानी आना तो एक स्वाभाविक सी बात है परंतु अगर नवरात्रि के उपवास में ऐसा हो जाए तो आपकी मुश्किल थोड़ी बढ़ सकती है।
परंतु मानव का तो स्वभाव ही है कि हमें जो चीज खाने खाने के लिए मना किया जाता है हम उसको खाए बिना रह ही नहीं सकते। इसलिए आज हम आपके लिए लाए हैं इसका एक छोटा सा सॉल्यूशन जिससे आप फलाहारी गोलगप्पे आसानी से बना सकते हैं और गोलगप्पे के स्वाद का पूरा नहीं तो आधा आनंद तो आधा आनंद तो उठा ही सकते हैं।
🤪🤪यानी यदि गोलगप्पे का नाम सुनकर आपके मुह में पानी आ गया तो अब आप उस पानी को पी भी सकते हैं 🤫🤫
गोलगप्पे की उत्पत्ति कैसे हुई !!
किसी से अचानक एक छोटी सी पूरी बन गई होगी और एक्सीडेंली वह किसी मसाले वाले पानी में गिर गई होगी और फिर उसे खा लिया गया और वह खाने में काफी टेस्टी लगी तो बस फिर लोगों ने तरह-तरह के फ्लेवर के साथ उसे खाना शुरु कर दिया।
गोलगप्पे का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि भारत में महाजनपद काल में मगध साम्राज्य के समय से ही पानीपूरी खाने का चलन सामने आया है। कुछ कथाओं के अनुसार माता कुंती ने एक बार द्रोपदी को पानी पुरी बनाने का चैलेंज भी दिया था परंतु हमें क्या, हमें तो पानीपूरी गिनने से नहीं खाने से मतलब होना चाहिये।
फलाहारी गोलगप्पा कैसे बनाएं
• राजगीर और कुट्टू का आटा (सिंघाड़ा आटा), उबला और मैश क्या हुआ आलू, थोड़ा सा तेल और थोड़ा सा पानी चाहिए।
• राजगीर, कुट्टू के आटे को मिलाकर, उसमें उबला हुआ आलू मिलाकर ,थोड़ा सा तेल मिलाकर, थोड़ा थोड़ा पानी मिलाकर एक कड़क सा आटा (Dough) तैयार करना है।
• इस आटे को थोड़ी देर रेस्ट कराने के बाद एक बड़ी सी लोई को बेलकर किसी कुकी कटर या ढक्कन की सहायता से छोटे-छोटे मनचाहे आकारों में काट लें और डीप फ्राई कर लें।
तो अब हमारी पूरी तो तैयार हो गई और अब बारी है पानी की !!
तो पानी पूरी के पानी के लिए आप व्रत या उपवास में जो भी चीजें उपयोग में लाते हैं। जैसे- हरा धनिया, हरी मिर्च, नींबू, कैरी या सूखा अमचूर पाउडर, इमली का पानी, जीरे, लौंग, काली मिर्च। इन सभी को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें और उसमें आवश्यकतानुसार जितना पानी मिलाना हो, मिलाकर छानकर तैयार कर लें और यदि आपको मीठा पानी भी चाहिए तो इसी में थोड़ा गुड़ या शक्कर मिलाकर मीठा पानी भी तैयार कर लें।