1 अप्रैल 2004 को तत्कालीन केंद्र सरकार ने व मध्य प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2005 को कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद करके न्यू पेंशन स्कीम लागू किया था, जिसके विरोध में 1 अप्रैल को देशभर के कर्मचारी संगठनों ने काला दिवस मनाने का आह्वान किया। इसी क्रम में ट्राईबल वेलफेयर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष डीके सिंगौर के आह्वान पर मध्य प्रदेश के सभी जिलों के कर्मचारियों ने 1 अप्रैल 2021 को काला दिवस मनाया।
इसके लिए शिक्षकों ने काले कपड़े पहन कर, काली पट्टी बांधकर अपने कर्तव्य स्थल पर काम किया। सोशल मीडिया के फेसबुक व्हाट्सएप, टि्वटर, इंस्टाग्राम आदि में काली डीपी लगा कर अपना विरोध दर्ज कराया, साथ ही हेजटेग टुडे इज ब्लैक डे फॉर एनपीएस #TodayIsBlackDayForNps ट्विटर अभियान चलाकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को हजारों ट्वीट कर एनपीएस बंद कर, पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की।
अपने ट्वीट में कर्मचारियों ने लिखा कि मध्यप्रदेश शासन की सामाजिक सुरक्षा पेंशन स्कीम के अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, निशक्त पेंशन, निराश्रित पेंशन योजना में प्रतिमाह ₹600 से 1200 पेंशन दी जाती है, वहीं 30 से 35 वर्ष तक शासन को अपनी सेवा देने वाले कर्मचारी, अधिकारियों को सेवानिवृत्ति के बाद ₹400-500 तक पेंशन मिल रही है।
साथ ही कर्मचारियों ने ट्वीट किया कि यदि एनपीएस योजना सचमुच इतनी अच्छी है तो देश के सभी विधायकों, सांसदों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री को भी एनपीएस के दायरे में लाया जाए। विगत दिनों एनपीएस के खिलाफ किए जा रहे आंदोलनों, धरना प्रदर्शन, सोशल मीडिया की मुहिम से एक बात तो स्पष्ट है कि कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं और पुरानी पेंशन की मांग को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है।