भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की मौत वायरस के कारण कम, कर्मचारियों की मनमानी और गलतियों के कारण ज्यादा हो रही है। रतलाम स्थित मेडिकल कॉलेज में एक व्यक्ति को ऑक्सीजन का खाली मास्क लगा कर लिटा दिया, पाइप कनेक्ट नहीं किया। नतीजा उसकी मौत हो गई। अकाल मृत्यु के सदमे में उसकी पत्नी ने भी दम तोड़ दिया।
कोरोनावायरस से नहीं भ्रष्टाचार के कारण मौत हुई है
मृत दंपति के परिजन हिमांशु जोशी ने बताया कि दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। दोनों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। डॉक्टर हमें रोज बताते थे कि रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं परंतु दोनों फोन पर बताते थे कि इंजेक्शन तो दूर की बात डॉक्टरों ने देखने तक नहीं आते। मृत्यु के बाद जब अंदर वार्ड में जाकर देखा तो उनके चेहरे पर ऑक्सीजन का मास्क ठीक प्रकार से लगा था परंतु ऑक्सीजन का पाइप कनेक्ट नहीं था। हिमांशु का आरोप है कि मरीजों के नाम पर रेमडेसिविर अलॉट करने के बाद उनकी कालाबाजारी की जा रही है। इसी प्रकार मरीजों के हिस्से की ऑक्सीजन प्राइवेट अस्पतालों में भेजी जा रही है।
सीएम शिवराज सिंह तो शौक भी नहीं जताते
खेतों में ओलावृष्टि होने पर चुनाव प्रचार छोड़कर दौरे पर निकलने वाले शिवराज सिंह चौहान अब इतने कठोर हृदय वाले हो गए हैं कि इलाज में लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण होने वाली मौतों पर जांच और दंड तो दूर की बात, शोक तक नहीं जताते। शहडोल में ऑक्सीजन की कमी के कारण 16 लोगों की मौत के समाचार हैं परंतु मुख्यमंत्री ने इस बारे में दो शब्द तक नहीं गए। शहडोल कलेक्टर ने सभी खबरों का खंडन कर दिया और पूरी व्यवस्था एक बयान के साथ निर्दोष साबित कर दी गई। जैसे मध्यप्रदेश में जनता की चुनी हुई सरकार है ही नहीं।