रीवा। तांत्रिक क्रियाओं से लोगों की समस्याएं एवं बीमारियां दूर करने वाले बाबा चंद्रशेखर तिवारी (60) वर्ष निवासी तिवनी जिला रीवा मध्य प्रदेश की संजय गांधी अस्पताल में कोविड-19 जांच रिपोर्ट आने से पहले की मृत्यु हो गई। लोगों ने बताया कि चंद्रशेखर बाबा कोरोनावायरस से संदिग्ध लोगों का कोरोना झाड़ते थे। पिछले दिनों उनके दोनों बेटे बाहर से वापस आए थे। शायद उन्हीं के कारण चंद्रशेखर बाबा संक्रमित हुए होंगे। दुखद बात यह है कि उनका शव 24 घंटे तक घर के बाहर पड़ा रहा। ना गांव वालों ने और ना ही परिवार वालों ने उनके अंतिम संस्कार के लिए कोई कदम उठाया। बाद में प्रशासन में सरकारी प्रक्रिया और प्रोटोकॉल के तहत उनका अंतिम संस्कार कराया।
24 घंटे तक घर के बाहर पड़ा रहा शव, लोग बाहर तक नहीं निकले
कोविड-19 की जांच रिपोर्ट आने से पहले ही तांत्रिक बाबा की मौत हो गई थी इसलिए संजय गांधी मेडिकल अस्पताल की एंबुलेंस उनके शव को उनके घर के दरवाजे पर उतार कर चले गए। गांव में हल्ला मच गया कि मौत कोरोना से हुई है। न तो घर वाले बाहर निकले और न ही गांव वाले आगे आए। शाम से रात हुई और दूसरे दिन सुबह हो गई। लेकिन कोरोना के डर से गांव और घर वालों ने शव को छुआ तक नहीं।
प्रशासन ने लावारिस लाश की तरह अंतिम संस्कार करवाया
कोरोना संदिग्ध का शव कई घंटों तक गांव में पड़े होने पर सोशल मीडिया में बवाल मचा। तब मनगवां एसडीएम केपी पांडेय ने नगर पंचायत मनगवां से तिवनी गांव एक टीम भेजी गई। यहां से कोरोना संदिग्ध मरीज की डेड बॉडी को ट्रैक्टर में लादकर श्मशान घाट पहुंचाया गया। वहां पर कोरोना प्रोटोकॉल के तहत नगर परिषद के कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार किया।
बेटों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया
मनगवां एसडीएम ने दोनों बेटों को गांव में ही क्वॉरेंटाइन करवाया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए है कि अगर इन युवाओं के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा तो संजय गांधी अस्पताल भेजा जाए। वहीं समय समय पर इनके स्वास्थ्य की पूरी मॉनिटरिंग की जाए। गांव वालों को नसीहत दी है कि अफवाहों से बचकर रहे। महामारी में एक दूसरे की मदद करें। न मदद करे तो स्थानीय प्रशासन को सूचना दे लेकिन भ्रांतियां गांव में न फैलाएं, जिससे आदमी हताश न हो।