नई दिल्ली। महामारी के इस दौर में सरकारी अस्पतालों में VIP नेताओं (मंत्री, सांसद एवं विधायक आदि) की दखलंदाजी से डॉक्टर से परेशान हो गए हैं। हालात यह बन गए हैं कि डॉक्टरों की एक संस्था फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FORDA) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को ऑफिशियल लेटर लिखकर मेडिकल के मामलों में नेताओं की दखलअंदाजी खत्म करने की मांग की है।
यह सब कुछ तब हुआ जब राजधानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित सरकारी अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर को अपने परिवार के एक व्यक्ति के लिए अस्पताल के कोविड वार्ड में बेड नहीं मिला। उसे अपने परिवार के सदस्य को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। FORDA ने अपने ऑफिशियल लेटर में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की उस घटना का भी जिक्र किया है जिसके चलते एक डॉक्टर को इस्तीफा देना पड़ा था।
सरकार से क्या चाहते हैं डॉक्टर
1. जनप्रतिनिधियों और सरकारी अफसरों (ब्यूरोक्रेट्स) को निर्देश दें कि अपने इलाज के लिए उन्हीं संस्थानों में जाएं, जो खासतौर पर उन्हीं के लिए अलॉट किए गए हैं।
2. इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करें और पर्याप्त वर्कफोर्स की व्यवस्था करें।
3. हेल्थ केयर सुविधाओं में जनप्रतिनिधियों का गैरजरूरी दखल रोका जाए।
4. करीबियों और रिश्तेदारों के इलाज के लिए जनप्रतिनिधियों और अफसरों द्वारा सिफारिशों पर रोक लगाई जाए। जरा सी बीमारी पर भी नेता या अफसरों के घर और दफ्तरों पर डॉक्टरों को जाने के लिए मजबूर न होना पड़े। इसे रोका जाए।
5. हेल्थ केयर वर्कर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की इलाज की जरूरतों के लिए भी एक विशेष जगह निर्धारित की जानी चाहिए।