इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर के राऊ की श्रमिक कॉलोनी में रहने वाले प्रिंटिंग कारोबारी की मौत के बाद उनके साले ने विजय नगर थाने में एक आयुर्वेदिक डॉक्टर के खिलाफ ढाई लाख का पैकेज लेकर नकली इंजेक्शन लगाने की शिकायत की है। पुलिस डॉक्टर की तलाश कर रही है।
एसपी आशुतोष बागरी के मुताबिक, जूनी इंदौर इलाके के मुराई मोहल्ला में रहने वाले सत्येंद्र जैन ने बताया कि ग्लूकोज-नमक के नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से उनके जीजा प्रवीण जैन (46) की भी मौत हुई है। उन्होंने 12 अप्रैल को कोरोना के लक्षण दिखने पर सिलिकॉन सिटी, पार्श्वनाथ अपार्टमेंट में रहने वाले आयुर्वेदिक डॉक्टर केसी पाटीदार से संपर्क किया था। डॉक्टर ने पहले चेस्ट का सीटी स्कैन कराया। फिर कोरोना इंफेक्शन देखने के बाद सलाह दी कि वे खुद ढाई लाख रुए के पैकेज में उनका इलाज कर देंगे। इसमें रेमडेसिविर इंजेक्शन, दवा, ऑक्सीजन, टेस्ट रिपोर्ट सभी का खर्च जोड़ा था। परिवार ने उन पर भरोसा कर लिया। 12 अप्रैल की रात 9 से 11 बजे के बीच डॉक्टर ने जीजा को क्लिनिक बुलाया और दो इंजेक्शन लगाए।
अगले दिन घर आकर एक एंटी बायोटिक इंजेक्शन लगाया। 14, 15 और16 अप्रैल को भी डॉक्टर ने जीजा को सुबह एंटी बायोटिक और शाम को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए। उन्होंने कुल छह रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए। मैंने उनके एक इंजेक्शन का फोटो ले लिया था। 19 अप्रैल तक डॉक्टर जीजा के पास इलाज के लिए आते रहे और उनके स्वस्थ होने की बात कहते थे। 21 अप्रैल को जीजा का अचानक ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा।
डॉक्टर पाटीदार को वापस बुलाया तो उन्होंने तत्काल ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था करने के लिए कहा। जब हमने उन्हें पैकेज याद दिलाया तो उनका कहना था कि बेड आपको ही करना पड़ेगा। परेशानी देख हमने कई अस्पतालों के चक्कर काटे। सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में बेड मिला। जीजा को जब वहां ले जा रहे थे तो उन्होंने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। इधर पाटीदार को कई फोन लगाए, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
साले सत्येंद्र ने बताया कि समाचारों के माध्यम से पता चला कि बदमाशों ने रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन बाजार में उतार दिए हैं और गलती से उस पर एक ही नंबर डाल दिया। मैंने उससे मिलान किया तो वही नंबर निकला। सत्येंद्र ने बताया कि डॉक्टर पाटीदार के पास आयुर्वेद की डिग्री है, लेकिन वे एलोपेथी का पैकेज लेकर इलाज कर रहे थे। उनके नकली इंजेक्शन लगाने से जीजा की मौत हुई है। उन पर हत्या का केस दर्ज होना चाहिए।
इलाज करने वाले डॉ. केसी पाटीदार का कहना है कि यदि मैं नकली इंजेक्शन देता तो पेशंट ठीक कैसे होता। 13 दिन बाद पेशेंट की जान गई है। इतने दिन दवा काम नहीं करेगी क्या। ये इंजेक्शन मैंने मायलेन कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर से लिए थे। नकली इंजेक्शन तो बाद में आए। असली इंजेक्शन को हम डॉक्टर्स नहीं पहचानेंगे तो कौन पहचानेगा। मैं बीएचएमएस हूं। 20 साल से एलोपैथी की भी प्रैक्टिस कर रहा हूं। एमडी मेडिसिन डॉ. संदीप पांडे भी प्रवीण को देख रहे थे। मेरा राऊ में पॉली क्लिनिक है। इसमें 13 डॉक्टरों की टीम है। हमने कोई गलत इलाज नहीं किया, ना ही नकली इंजेक्शन लगाए।