भोपाल। कानून के विशेषज्ञों और एक्टिविस्ट के लिए अध्ययन का नया विषय सामने आया है। क्या धारा 144 के तहत विवाह संस्कार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। क्या कोई कलेक्टर अपने क्षेत्र में हुए विवाह को अमान्य घोषित कर सकता है, जबकि दंपति में से किसी ने भी इसके लिए आवेदन ना किया। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के कलेक्टर ने दिनांक 5 मई 2021 के बाद हुई सभी शादियों को अमान्य घोषित कर दिया है। जबकि धारा 144 के तहत प्रतिबंध सिर्फ विवाह समारोह पर लगाए गए थे।
कलेक्टर कार्यालय जिला उज्जैन की ओर से बताया गया कि 'कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने उज्जैन जिले में कोरोना संक्रमण को रोकने की दृष्टि से 5 मई से धारा 144 के तहत विवाह पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं तथा पूर्व में दी गई विवाह की सभी अनुमति को निरस्त किया गया है। यह संज्ञान में आया कि कतिपय व्यक्तियों द्वारा इस दौरान चुपचाप विवाह आयोजित किए गए हैं।
कलेक्टर ने ऐसे समस्त विवाहों के पंजीयन नही करने के लिए नगरीय निकायों व ग्रामपंचायतों को निर्देश जारी किए हैं। जारी किए गए निर्देश के अनुसार 5 मई के बाद के विवाह यदि गलती से पंजीकृत हो गए हैं तो उन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के लिए कहा गया।
आयोजित किए गए हैं। कलेक्टर ने ऐसे समस्त विवाहों के पंजीयन नही करने के लिए नगरीय निकायों व ग्रामपंचायतों को निर्देश जारी किए हैं। जारी किए गए निर्देश के अनुसार 5 मई के बाद के विवाह यदि गलती से पंजीकृत हो गए हैं तो उन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के लिए कहा गया। @JansamparkMP
— Collector Ujjain (@collectorUJN) May 15, 2021
यदि जन्मोत्सव मनाया तो क्या नागरिकता निरस्त कर देंगे
उज्जैन कलेक्टर के आदेश ने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। आज दिनांक तक धारा 144 का उल्लंघन करने पर, उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ धारा 188 के तहत कार्रवाई की गई। कुछ जिलों में तो शामिल हुए सभी नागरिकों के खिलाफ धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया गया लेकिन विवाह संस्कार अमान्य करने का आदेश पहली बार जारी हुआ है। इस आदेश से एक प्रश्न उपस्थित होता है। यदि कर्फ्यू के दौरान किसी बच्चे का जन्म हुआ और उसके पिता ने जन्म का उत्सव मना लिया, धारा 144 का उल्लंघन कर दिया तो क्या नवजात शिशु की नागरिकता निरस्त कर देंगे।