कोरोना वायरस कैसे फैलता है इसे लेकर दुनिया भर में तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं या कई तरह की थ्योरी काम कर रही हैं। ऐसा ही कुछ इस वायरस के हवा में फैलने को लेकर भी कहा जा रहा है लेकिन एक और नई रिसर्च के मुताबिक हमारे घरों से निकले सीवेज या वेस्ट वॉटर या गटर के पानी के जरिए भी कोरोना फैल सकता है।
यदि बात करने से, छींकने से, खांसने से, कोरोना फैल सकता है तो गटर का पानी मिले नदी और तालाब के संपर्क में आने से कोरोना नहीं फैलेगा क्या? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए विशेषज्ञों से बात की गई जो wastewater Epidemiology के क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
स्विट्जरलैंड के संघीय जल विज्ञान संस्थान (ईएडब्ल्यूएजी) के शहरी जल प्रबंधन विभाग के ग्रुप लीडर और वेस्ट वाटर एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉक्टर क्रिस्टोफ ओर्ट ने बताया कि पानी कभी झूठ नहीं बोलता। हालांकि हम डायरेक्ट कभी भी गटर के पानी के संपर्क में नहीं आते क्योंकि यहाँ गटर का पानी बिना ट्रीटमेंट के रह ही नहीं सकता। वह बताते हैं कि यहां लोगों के लिए ऐसे अवसर बन ही नहीं पाते कि वे ऐसे पानी के संपर्क में आए जिसमें बिना सफाई के गटर का पानी मिलता रहता है।
परंतु हम इस बात को नहीं नकार सकते कि गटर के पानी से संक्रमण फैल सकता है। जिन देशों में पुख्ता वेस्ट वाटर मैनेजमेंट की व्यवस्था है वहां पर वेस्ट वाटर इपीडीमियोलॉजी का इस्तेमाल सामुदायिक test के तौर पर किया जा सकता है ताकि यह पता चल सके क्षेत्र में कोरोना के संक्रमण बढ़ रहे हैं।
इस मामले में भारत की स्थिति दयनीय है। भारत में सिर्फ 4 शहरों में ही सीवेज ट्रीटमेंट है। पर्यावरण मंत्रालय के MB IAS सेक्टर के अप्रैल 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार संपूर्ण भारत में प्रतिदिन 72,368 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है। जबकि इसे फिल्टर करने की क्षमता मात्र 31,841 एमएलडी है। यानी 63 % waste water बिना ट्रीटमेंट के ही जल स्रोतों में मिल रहा है।