भोपाल। मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। दमोह में नेताओं ने निष्ठा बदल ली थी परंतु जनता ने नहीं बदली। 2018 में भी भारतीय जनता पार्टी को हराया था और उपचुनाव 2021 में भी भाजपा प्रत्याशी को धूल चटा दी। पब्लिक का मैसेज क्लियर है कि उसने 5 साल के लिए जनादेश दिया था, जो नहीं बदलेगा।
जयंत मलैया: पुराना कलंक हटा, नया कलंक लगा
दमोह विधानसभा उपचुनाव परिणाम के साथ पूर्व मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता जयंत मलैया के माथे से पुराना कलंक हट गया कि जनता नहीं उन्हें अस्वीकार कर दिया है क्योंकि यदि ऐसा होता तो चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत हो जाती है लेकिन भितरघात का नया कलंक जरूर लग गया है। को कितनी भी सफाई दे लें, कोई नहीं मानेगा की राहुल सिंह लोधी की हार के पीछे जयंत मलैया का हाथ नहीं है।
कमलनाथ को संजीवनी मिली
मध्यप्रदेश में जनादेश मिलने के बावजूद सरकार चलाने में असफल रहे कमलनाथ को विधानसभा उपचुनाव के रिजल्ट के नाम पर संजीवनी मिल गई है। पिछले 3 साल से लगातार उनकी योग्यता पर सवाल उठाए जाते रहे। मांग बहुत तेजी से उठ रही है कि वह एक उम्र दराज नेता है और उन्हें मार्गदर्शक होना चाहिए। दमोह के नतीजों से उम्र के सवाल कुछ देर के लिए ही सही कम हो जायेंगे।