भोपाल। मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी की शर्मनाक पराजय हो चुकी है। समीक्षा का दौर शुरू हो चुका है। सभी लोग अपने-अपने विश्लेषण कर रहे हैं परंतु एक बात बिल्कुल साफ है और वह यह कि शिवराज सिंह चौहान की टीम गड़बड़ है। उनके अध्ययन और पूर्वानुमान गलत है। ऐसी टीम सरकार के संचालन और अगले चुनाव में जीत को बाधित कर देगी।
मध्यप्रदेश में सरकार का इंटेलिजेंस और संगठन दोनों फेल हो गए
बताने की जरूरत नहीं कि राहुल सिंह लोधी के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की डील हुई थी। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया था कि वह उपचुनाव जिताकर देंगे। कितने आश्चर्य की बात है कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग दमोह विधानसभा के अंदर की बात नहीं जान पाए। पता नहीं लगा पाए कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के हृदय में क्या चल रहा है। यदि मलैया परिवार ने भितरघात किया है तो रणनीतिकार इसका पूर्वानुमान नहीं लगा पाए। कुल मिलाकर सरकार का इंटेलिजेंस और संगठन दोनों एक साथ फेल होते हुए नजर आए जबकि मध्यप्रदेश में सिर्फ एक सीट पर उपचुनाव था।
CORONA: लोगों को दावे नहीं दवाई चाहिए
भारतीय जनता पार्टी में शिवराज सिंह चौहान एक अकेले ऐसे नेता है जो लोगों को राहत दिए बिना, अपने भाषणों के माध्यम से राहत का एहसास करा देते हैं। और उस एहसास को वोटों में भी बदल लेते हैं। इस जादुई व्यक्तित्व के कारण ही वह लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं परंतु कोरोनावायरस के मामले में उनका जादू नहीं चल पाया। इलाज के लिए भटक रहे लोग पहली बार अस्पताल के बाहर मैदानों में बद्दुआएं देते हुए नजर आए हैं। पहली बार लोग इतने बेबस दिखाई दिए। पहली बार लोगों की आंखें सूखी दिखाई दे रही है। मतलब साफ है, वह माफ करने के मूड में नहीं है।