दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 93 के अनुसार तलाशी वारण्ट तब जारी किया जाता है जब न्यायालय को लगता है की कोई वस्तु न्यायालय के समन या अपेक्षा के बाद भी न्यायालय के समक्ष हाजिर नहीं हुई है। तब न्यायालय तलाशी वारण्ट जारी करता है। एक प्रश्न बहुत से लोगो के मन में आता है कि कलेक्टर या SDM के सामने पुलिस अधिकारी बिना वारण्ट के हमारे मकान, फर्म, परिसर की तलाशी क्यू ले लेते हैं। क्या यह कोई उनका विशेष अधिकार होता हैं आज के लेख में हम इस प्रश्न का उत्तर देते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 103 की परिभाषा:-
कोई भी ऐसा मजिस्ट्रेट जो तलाशी वारण्ट करने की शक्ति रखता है वह मौखिक आदेश से अपने समक्ष पुलिस अधिकारी से तलाशी करवा सकता है परंतु तलाशी के समय मजिस्ट्रेट को तलाशी वाले स्थान पर उपस्थित होना आवश्यक है, तभी मौखिक तलाशी आदेश मान्य होगा।
महत्वपूर्ण नोट:- जहाँ मजिस्ट्रेट तलाशी वाले मकान या कमरे में प्रवेश नहीं करता है और बाहर खड़ा रहता है एवं तलाशी के लिए पुलिस इंस्पेक्टर को भेजता है तो उसके द्वारा उसकी उपस्थिति में यह तलाशी करने का निर्देश नहीं समझा जायेगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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